बच्चों को लैंगिक अपराध से संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम की विशेष अदालत ने आज बहुचर्चित मुजफ्फरपुर बालिका अल्पावास गृह यौन शोषण मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दो वरिष्ठ पदाधिकारियों के खिलाफ जांच कराने का आदेश देने से इंकार करते हुए आवेदन सूचनार्थ केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को भेज दिया है।

पोक्सो की विशेष अदालत के प्रभारी न्यायाधीश मनोज कुमार ने मुजफ्फरपुर बालिका अल्पावास गृह यौन शोषण मामले के आरोपी डा. अश्विनी की ओर से दायर आवेदन को सीबीआई पटना के अधीक्षक को सूचनार्थ भेजा है। डा .अश्विनी खुद बालिका अल्पावास गृह यौन शोषण मामले में आरोपी है और उनपर यौन शोषण से पहले बच्चियों को नशीली दवाएं देने का आरोप है। डा अश्विनी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि सीबीआई जांच में उन तथ्यों को छुपाने की कोशिश कर रही है, जो मुजफ्फरपुर के पूर्व जिलाधिकारी धर्मेंद्र सिंह,  मुजफ्फरपुर के पूर्व प्रमंडल आयुक्त और समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिकाओं की जांच करने के बाद सामने आ सकते हैं।

वरीय अधिवक्ता शरद सिन्हा ने बताया कि पोक्सो अदालत ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मुजफ्फरपुर के पूर्व प्रमंडल आयुक्त और समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद तथा मुजफ्फरपुर के पूर्व जिलाधिकारी धर्मेंद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई को जांच करने का कोई आदेश नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि इस अदालत को इस तरह का आदेश देने का भी कोई अधिकार नहीं है। इस तरह का अधिकार सिर्फ उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय को ही है।

श्री सिन्हा ने कहा कि डा. अश्विनी के आवेदन को सीबीआई को अग्रसारित करना भी एक नियमित मामला है। जब भी कोई अभियुक्त अदालत में इस तरह का कोई आवेदन देता है तो ऐसी अदालतें उस आवेदन को सीबीआई को अग्रसारित कर देती है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में मुजफ्फरपुर बालिका अल्पावास गृह यौन शोषण मामले की सुनवाई निष्पक्ष रूप से कराये जाने के लिए बिहार के बाहर दिल्ली के साकेत कोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है।

By Editor


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