बिहार विधान सभा चुनाव की तैयारी सभी खेमों ने शुरू कर दी है। यह खेमाबाजी भी चेहरों में तब्दील हो गयी है। अब तय हो गया है कि विधान सभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरों के सहारे लड़ा जा रहा है। इसमें पार्टी या गठबंधन गौण और चेहरा ही प्रमुख हो गया है।
वीरेंद्र यादव
इस चुनाव में तीसरा मोर्चा कहीं नजर नहीं आ रहा है। तीसरा मोर्चा या विकल्प की जो बात की जा रही है, वह मूलत: नूराकुश्ती ही है। उसमें कोई दम नजर नहीं आ रहा है। नीतीश या नरेंद्र में से किसी एक के साथ ही होना उनकी नियति बन गयी है। पटना में प्रचार कैंपेन में भी यह साफ दिख रहा है। चुनावी होर्डिंग में सिर्फ नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी ही नजर आ रहे हैं।
होर्डिंग में दोनों की तस्वीर का पोज भी लगभग समान ही है। राजधानी की सभी प्रमुख जगहों पर इन्हीं दोनों की तस्वीर लगी हुई है। नीतीश कुमार की होर्डिंग पर जहां नीतीश कुमार की वापसी पर फोकस किया गया है, वहीं नरेंद्र मोदी की होर्डिंग पर अबकी बार भाजपा सरकार को फोकस किया गया है। दोनों के प्रचार अभियान में दलों के बजाय व्यक्ति पर बल दिया गया है। भाजपा ने नेतृत्व विवाद को टालने के लिए नरेंद्र मोदी की तस्वीर को आगे करके गठबंधन के सहयोगी दलों को भी औकात में रखने का सफल प्रयास किया। जबकि लालू गठबंधन ने नीतीश कुमार को चेहरे को आगे कर नीतीश की छवि को भुनाने का पूरा प्रयास कर रहा है। दोनों गठबंधनों की रणनीति चाहे जो भी, इतना तय है कि पूरा चुनाव अभियान नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के आसपास ही चलेगा।