उच्चतम न्यायालय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्वाचन को निरस्त करने संबंधी याचिका की सुनवाई अगले महीने तक के लिए आज टाल दी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ ने पेशे से वकील मनोहर लाल शर्मा की याचिका की सुनवाई जनवरी 2018 के दूसरे सप्ताह तक के लिए स्थगित की। न्यायालय ने चुनाव आयोग के हलफनामे के बाद इस मामले में आज की तारीख सुनिश्चित की थी।
गौरतलब है कि आयोग ने पिछली सुनवाई को दायर अपने हलफनामे में कहा था कि श्री कुमार ने 2012 और 2015 में बिहार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था। इसी तरह उन्होंने 2013 में भी बिहार विधान परिषद का चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन पता नहीं याचिकाकर्ता को कहां से नीतीश कुमार का चुनावी हलफनामा मिल गया।
आयोग ने इस मामले में याचिका दायर करने के श्री शर्मा के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाये थे। आयोग का कहना था कि इस मामले से याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं हुआ है और इस पर जनहित याचिका दाखिल नहीं की जा सकती। आयोग ने याचिका खारिज करने और याचिकाकर्ता पर भारी जुर्माना लगाये जाने की भी मांग की थी।
श्री शर्मा ने याचिका दाखिल कर कहा था कि 2006 से 2015 के दौरान श्री कुमार ने हलफनामे में यह खुलासा नहीं किया कि 1991 में उन पर हत्या के मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई थी, लिहाजा उन्हें (श्री कुमार को) मुख्यमंत्री पद के लिए अयोग्य घोषित किया जाये।