नौकरशाही डॉट इन को पता चला है कि नीतीश कुमार के नाम के एक ‘ठप्पा’ के बदले आठ आने की दर तय हुई है.तमाम अखबारों पर नीतीश के नाम का ठप्पा लगाने का अभियान चल रहा है.
नीतीश कुमार से जुड़ने के लिए उनकी पीआर एजेंसी ने यह अभियान चला रखा है. इससे पहले इसने नीतीश कुमार की तस्वीर वाले पोस्टर पटना के टेम्पुओं पर सटवाया था जिसमें फिर एक बार नीतीश कुमार के अभियान से जुड़ने के लिए एक मोबाइल नम्बर पर मिस्ड कॉल करने को कहा गया था.
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इसके लिए प्रत्येक टेम्पू को एक महीने के लिए 100 रुपये देने की बात कही गयी थी.
दस लाख अखबारों का टारगेट
इस अभियान के दूसरे चरण में अखबारों को टागरगेट किया गया है. इसके तहत, पटना के अलावा मुजफ्फरपुर और भागलपुर से प्रकाशित होने वाले तमाम अखबारों पर ‘फिर एक बार नीतीश कुमार’ के नाम और मोबाइल नम्बर का ठप्पा लगाया जा रहा है. इसके लिए प्रत्येक हॉकर को एक अखबार पर एक ठप्पा लगाने के लिए आठ आने यानी पचास पैसे देना तय किया है.
पटना के एक न्यूजपेपर एजेंसी से जुड़े अधिकारी ने नौकरशाही डॉट इन को बताया है हम हर सुबह डिस्ट्रीब्यशन प्वाइंट पर पचास लड़कों की टोली ले कर पहुंचते हैं. एक खास क्षेत्र में वितरण होने वाले अखबारों की निर्धारित संख्या को देखते हुए हमारे तमाम लड़के अखबारों के मुख्यपृष्ठ की खाली जगह पर यह ठप्पा लगाते हैं.
उस अधिकारी का कहना है कि बिहार में लगभग दस-बाहरह लाख अखबार प्रति दिन वितरित होते हैं. इस प्रकार हमारी कोशिश है कि अगल 6-7 दिनों में लोगों तक पहुंचने वाले तमाम अखभारों में नीतीश कुमार के नाम का ठप्पा पहुंच जायेगा. एक हॉकर ने स्वीकार किया कि उसकी टीम ने अभी तक 60 हजार अखबारों में नीतीश कुमार के नाम का ठप्पा लगाया है और इस प्रकार उसे 30 हजार रुपये मिल भी चुके हैं.
अभी तक अखबारों में प्रिंटेड मैटेरियल रख कर प्रचार करने की परिपाटी थी. लेकिन ठप्पा यानी मुहर लगा कर लाखों लोगों तक पहुंचने का यह नया प्रयोग है.
एक तरफ नीतीश सरकार ने बढ़ चला बिहार नामक सरकारी अभियान चला रखा है तो दूसरी तरफ नीतीश से जुड़ने के अभियान को निजी प्रयास के तहत चलाया जा रहा है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि इन दोनों अभियानों के पीछ लगने वाला संगठन एक ही है.
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