बिहार प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि सत्ताधारी दल जदयू अभी दूविधा में फंसी हुई है। किस मुद्दे के साथ वह जनता के बीच जायें, उन्हें यह नहीं सूझ रहा है। महागठबंधन के लोग बिहार में जातीय समीकरण के हरेक पहलू को आजमा के थक चुके हैं, अबकी बार कोई काम नहीं आ रहा है। जदयू ने महादलित कार्ड खेलने की नीयत से जीतनराम मांझी को लाया था। वह उनके नेताओं पर भारी पड़ रहे हैं।
श्री सिंह ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने बचाव के लिए मांझी को मुख्यमंत्री पद पर बिठाया था। अब, वह नीतीश के लिए ही भस्मासुर साबित होने लगे हैं। उन्हें मुखौटा दे, सत्ता की मूल चाबी अपने पास रखने की नीतीश की मंशा के कारण टकराव शुरू हो गया है। इसे भाप जीतनराम मांझी ने अपनी पहचान बनानी शुरू की, तो यह नीतीश को अखरने लगा। मांझी को नीचा दिखाने के लिए उनके निर्णयों को दबाव देकर बदलवाया जा रहा है।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कई आइएएस, आइपीएस तथा बिहार प्रशासनिक एवं पुलिस सेवा के अधिकारियों के तबादले में यह स्पष्ट दिखा कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश और चारा घोटाले में सजायाफ्ता पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के दबाव में अधिसूचना जारी होने के बाद भी तबादले रद्द कर दिये गये। दूसरी ओर राजद नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के बयानों से भी जदयू कटघरे में खड़ी हो गई है। जदयू का पूरा नेतृत्व वर्ग अंदर से तिलमिला गया। क्योंकि, उन्हें अहसास हो गया है कि राजद और लालू के पास अपना जातिगत आधार भी है। नीतीश के पास वह भी नहीं हैं। इसलिए, नीतीश चारों तरफ से घिरे हुए हैं। रोज नए हथकंडे अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।