नीतीश के 11 वर्षों के शासनकाल में पहली बार बिहार के आईएएस अफसरों ने सरकार के सामने गंभीर चुनौती पेश करते हुए मुख्यमंत्री सचिवालय समेत किसी भी कार्यालय का मौखिक हुक्म मानने से इनकार कर दिया है.
वैसे तो नीतीश कुमार देश के उन चुनिंदा मुख्यमंत्रियों में से एक माने जाते हैं जो नौकरशाहों में काफी लोकप्रिय रहे हैं. खुद नीतीश कुमार भी नेताओं और मंत्रियों से ज्यादा आईएएस अफसरों को तरजीह देते हैं लेकिन उनके शासन काल में पहली बार ऐसी स्थिति बनी है कि उन्हीं के अफसरों ने पहली बार मुख्यमंत्री कार्यालय समेत किसी भी कार्यालय का मौखिक हुक्म मानने से साफ इनकार कर दिया है.
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बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) के अध्यक्ष सुधीर कुमार की गिरफ्तारी से नाराज आईएएस आफिसर्स एसोसिएशन ने यह फैसला लिया है. गौरतलब है कि बीएसएसी के चेयरमैन और पूर्व गृहसचिव सुधीर कुमार को पटना के एसएसपी मनुमहराज के नेतृत्व वाले एसआईटी ने उन्हें झारखंड के हजारीबाग से उनके पैतृक घर से अरेस्ट कर लिया था. आईएएस एसोसियेशन का साफ कहना है कि सुधीर कुमार ईमानदार अफसर हैं और उनकी गिरफ्तारी गलत तरीके से की गयी है.
सुधीर कुमार की गिरफ्तारी का विरोध कर रही आईएएस एसोसिएशन ने रविवार को करीब 3 घंटे तक बैठक की। बैठक में वरीय आईएएस अधिकारियों समेत कई जिलों के डीएम भी शामिल हुए। बैठक के बाद तमाम आईएएस अधिकारी राजभवन रवाना हुए। वहां 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल रामनाथ कोविंद से मिलने राजभवन गया। इस दौरान करीब रा50 से ज्रायादा आईएएस अफसर जभवन के बाहर मानव श्रृंखला बना कर खड़े रहे और अपना विरोध दर्ज किया.
आईएएस अफसरों की नाराजगी का आलम यह है कि एसोसिएशन का कोई भी सदस्य बीएसएससी अध्यक्ष, बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद के परीक्षा नियंत्रक और तकनीकी सेवा भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष का पद स्वीकार नहीं करने का फैसला लिया है.