शनिवार को देर शाम एक न्‍यूज चैनल पर नीतीश कुमार का ‘प्रेस कॉन्‍फ्रेंस’ का प्रसारण किया गया।  पूरे एक घंटा का कार्यक्रम। न्‍यूज से ज्‍यादा एंटरटेनमेंट। पत्रकारों की भीड़। पुराने क्लिपिंग। नये संदर्भ में बेचने का प्रयास। सवाल भी पुराने,  जवाब भी पुराने। नयी थी तो सिर्फ प्रसारण की तिथि। दरअसल नीतीश को भी पता था कि सवाल क्‍या होंगे। उत्‍तर भी कोई नया नहीं। कई सवालों को नीतीश ने नीतीश कुमार व लालू यादव के बीच झगड़ा लगाने का प्रयास भी बता दिया।press

नौकरशाही ब्‍यूरो

 

भाजपा ने किया था भोज कैंसिल

एक घंटे के कार्यक्रम में नीतीश ने पीएम नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिया। जून 2010 में भाजपा नेताओं के लिए आयोजित भोज कैंसिल करने का दोष भी भाजपा के मत्‍थे मढ़ दिया। उन्‍होंने कहा कि गुजरात सरकार द्वारा कुसहा त्रासदी के बाद दिये गये मदद का प्रचार नैतिकता के विरुद्ध था। उसका विज्ञापन छपवाकर बिहार का अपमान किया गया था। इसलिए भाजपा की सहमति के बाद भोज कैंसिल किया गया था। लालू यादव के खिलाफ दिए गए बयानों से जुड़े सवालों पर उन्‍होंने कहा कि पुराने बयान पुरानी परिस्थितियों के आधार पर था और आज का संबंध वर्तमान जरूरतों के अनुसार है। नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार की राजनीति का लैंग्‍वेज बदल गया है और ग्रामर भी। अब मिनिंग लेस एक्‍सरसाइज की जरूरत नहीं है।

 

गिफ्ट का प्रलोभन   

हद तो हो गयी कि राजनीतिक कार्यक्रम को कम्‍पटीशन बना दिया गया। कार्यक्रम के समापन के पूर्व पांच सवाल पूछे जाने की सूचना दी गयी और कहा गया कि तीन सवालों का जवाब देंगे तो गिफ्ट दिया जाएगा। यानी इस कार्यक्रम पर बाजार इतना हावी हो गया कि प्रतियोगिता में जीतने के बाद गिफ्ट का ‘प्रलोभन’ दिया जा रहा है। नीतीश ने सिर्फ एक सवाल का सीधा जवाब दिया, जबकि चार सवालों को निरर्थक करार दे दिया। उन सवालों के उत्‍तर देने के बजाये सवालों की प्रासंगिकता पर सवाल खड़ा कर दिया। खैर, चैनल वालों ने ‘अनुकंपा’ के आधार नीतीश को गिफ्ट दे दिया।

 

केंद्र में ट्विटर गवर्नमेंट

नीतीश ने केंद्र सरकार को ट्विटर गवर्नमेंट बताते हुए कहा कि हमने भी जवाब देने के लिए ट्विटर पर आना जरूरी समझा। उन्‍होंने कहा कि उनके (भाजपा) साथ कॉरपोरेट की ताकत है, सत्‍ता की ताकत है, धार्मिक उन्‍माद की ताकत है। हमने भी इससे मुकाबले की रणनीति बना रखा है। आरा में प्रधानमंत्री द्वारा की गयी घोषणा की शैली पर भी कटाक्ष किया। वे लोग गाली डैश गलौज नहीं, सिर्फ गाली देते हैं। यही उनकी संस्‍कृति और संस्‍कार है।

By Editor


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