जैसी की आशंका थी ठीक वैसा हुआ. शिवानंद तिवारी द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखी चिट्ठी सार्वजनिक होने के बाद जद यू ने करारा पलटवार करते हुए उन्हें आस्तीन का सांप कहा. इनता ही नहीं प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि जब नटवर लाल मरा तो उनकी आत्मा शिवानंद तिवारी में घुस गयी.
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हालांकि संजय सिंह ने अपने बयान में शिवानंद की चिट्ठी का कहीं उल्लेख नहीं किया है लेकिन( देखें नौकरशाही) शिवानंद तिवारी की चिट्ठी सोशल मीडिया पर आने के बाद संजय सिंह ने उन पर हमला करते हुए कहा है कि आज की तारीख में यदि कोई महागठबंधन तोडना चाहता है और महागठबंधन में दरार देखना चाहता है तो उसका नाम शिवानंद तिवारी है ।
संजय ने कहा कि मौक़ा परस्त शिवानंद तिवारी के हाड में हल्दी माननीय श्री नीतीश कुमार ने लगवाया है । 1996 में समता पार्टी से एमएलए बनवाया, फिर 2008 में जेडीयू के तरफ से राज्यसभा सांसद बना कर देश के उच्च सदन में भेजा । फिर कही जाकर शिवानन्द तिवारी ने पहली बार विधान सभा को देखा और पहली बार संसद का मुंह देखा था । श्री नीतीश कुमार के बदौलत ही शिवानंद तिवारी पोलिटिकल सर्वाइव कर पाए थे । लेकिन ये किसी के नहीं हो सकते है । अपने लाभ के लिए शिवानंद तिवारी जैसा व्यक्ति किसी स्तर तक नीचे गिर सकता है ।
शिवानंद तिवारी के बारे जब इतिहास में थोड़ी चर्चा होगी तो उन्हें आस्तीन के सांप के रूप में जाना जाएगा । राजनीति के आस्तीन के सांप है शिवानंद तिवारी । जिस थाली में खाते है उसी में छेद करते है । कभी ये लालू जी के बारे कहते थे कि ये मेरा झोला ढोता था । कभी राजद सुप्रीमो लालू यादव जी के बारे कहते थे कि यदि लालू यादव देश का प्रधानमन्त्री बनेगा तो ये देश को बेच देगा । आज लालू जी के गुण गाने वाले शिवानंद तिवारी ये कैसे भूल सकते है कि उन्होंने लालू यादव जी के बारे कहा था कि इसका एक हाथ पांव पर और दूसरा हाथ गर्दन पर रहता है । शिवानंद तिवारी जैसे व्यक्ति कभी भी किसी के लिये ईमानदार नही हो सकते है । इनके शब्दकोश में ईमानदारी जैसा शब्द ही नहीं है ।
शिवानंद तिवारी माननीय श्री नीतीश कुमार और लालू यादव जी से सट कर अपना राजनितिक लाभ लेते रहे है । लेकिन सच ये है कि ये अक्सर श्री नीतीश कुमार जी और लालू यादव जी से दुश्मनी निकालते रहे है । शिवानंद तिवारी नटवरलाल है । जब नटवरलाल मरा था तो उसकी आत्मा शिवानंद तिवारी के शरीर में प्रवेश कर गई थी , तभी तो सिर्फ ये अपना फ़ायदा ही देखते है । कभी भी शिवानंद तिवारी को सामाजिक नेता नही माना गया है ये अक्सर राजनीति में पिछलगुआ बन कर रहे है ।