पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रशासनिक हस्तक्षेप को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि नीतीश कुमार हासिये पर धकेल दिये गये हैं तो कुछ का मानना है कि सत्ता का वास्तविक केंद्र नीतीश कुमार ही हैं। लेकिन राजनीतिक गलियारे के बाहर सत्ता के केंद्रों पर नीतीश कुमार की हनक बरकरार है और वह उसका अहसास भी कराते रहते हैं।
वीरेंद्र यादव
शुक्रवार को पटना के होटल मौर्या में एक सेमिनार का आयोजन किया गया था। इसका आयोजन आद्री ने किया था। इसके सचिव शैबाल गुप्ता 1990 के बाद से सत्ता के केंद्र से जुड़े रहे हैं। लालू राज में सामाजिक न्याय की वकालत करते थे और अब न्याय के साथ विकास के सहयात्री बने हुए हैं। सेमिनार के मुख्य अतिथि अर्थशास्त्री मेघनाद देसाई थे, जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर नीतीश कुमार मौजूद थे।
इस सेमिनार में जीतनराम मांझी सरकार के तीन मंत्री भी श्रोता के रूप में मौजूद थे। इसमें जलसंसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, वित्त मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव और खान मंत्री रामलखन राम रमण शामिल थे। इसके अलावा चंचल कुमार, संजय कुमार, मनोज श्रीवास्तव, एके चौहान समेत दर्जन भर आइएएस अधिकारी भी मौजूद थे। ये सभी वहां नीतीश कुमार को चेहरा दिखाने पहुंचे थे। कई सांसद व विधानमंडल सदस्य भी मौजूद थे।
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो प्रशासनिक अधिकारियों की वफादारी आज भी सात सर्कुलर रोड के साथ ज्यादा है। क्योंकि प्रशासनिक अधिकारियों की स्थानांतरण व पदस्थापन में नीतीश कुमार की राय सर्वोपरि होता है। मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह नीतीश कुमार के प्रति ज्यादा वफादार रहे हैं। उनके वफादारी में अभी कोई अंगुली उठाने का साहस नहीं जुटा सकता है। यही वजह है कि चाहे, अनचाहे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नीतीश कुमार के विश्वस्त बने रहने का प्रयास करते हैं और सार्वजनिक मंचों पर उपस्थिति दिखाकर अपनी वफादारी भी जाहिर करना चाहते हैं।