– अनिता गौतम–
जब रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विशेष राज्य के दर्जे के लिए दहाड़ लगा रहे होंगे, उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी पटना में मौजूद रहेंगे. मोदी को बिहार से दूर रखने के लिए चट्टान की तरह खड़ा जनता दल यू तब उन्हें पटना आने से रोक पाने की कोई कोशिश भी नहीं कर सकेगा.
भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में से एक कैलाशपति मिश्र की शनिवार को हुई मौत ने, मोदी बनाम नीतीश की राजनीति को अचानक ठंडे बस्ते में डाल दिया है. मोदी कैलाशपति मिश्र के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने अचानक पहुंच रहे हैं. गंगा तट पर रविवार को उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा.
यह एक कोइंसीडेंट है कि मोदी और नीतीश एक साथ एक ही कार्यक्रम यानी कैलाशपति मिश्र के अंतिम संस्कार में उपस्थित रहेंगे.
इससे पहले भी बिहार में बीजेपी की ‘हुंकार रैली’ में मोदी को बुलाने को लेकर बातें सामने आई थी, तब बिहार की राजनीति गर्म हो गई थी और भाजपा- जद यू के रिश्ते पर सवाल उठने लगे थे.लेकिन फिर बीजेपी ने इस पर सफाई देते हुए कहा था कि फिलहाल ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
लेकिन जो भी पिछलों कुछ दिनों से मीडिया में बीजेपी और जेडीयू के बीच लगातार बयानबाजी हो रही है. कई सवाल पटना से दिल्ली तक सियासी गलियारी में चक्कर लगा रहे हैं. वहीं जेडीयू ने संकेत दे दिया है कि अगर नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया तो गठबंधन खतरे में पड़ सकता है.
ऐसे में देखने वाली बात है कि नरेंद्र मोदी पटना आकर क्या कहते हैं. मोदी जिस तरह अवसर का लाभ लेने वाले नेता माने जाते हैं उस आधार पर कहा जा सकता है कि वह कुछ न कुछ ऐसा जरूर बोलेंगे जिससे मीडिया का ध्यान अधिकार रैली साथ साथ मोदी पर भी टिक जाये.
विश्लेषकों का मानना है कि मोदी को कैलाशपति की मौत ने एक अच्छा राजनीतिक अवसर प्रदान कर दिया है.
अब देखने वाली बात है अगले कुछ घंटे में मोदी बनाम नीतीश का मामला क्या रूप लेता है और ऐसे में जद यू की अधिकार रैली से समाज में क्या मैसेज जाता है.
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