जितेंद्र सिंह सवाल उठा रहे हैं कि नीतीश कुमार जैसा कोई नेता और प्रशांत भूषण जैसा कोई वकील असीमानंद की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाएगा..!शहाबुद्दीन एक दुर्दांत अपराधी के रूप में मशहूर हैं, जेल में बंद थे!असीमानंद एक दुर्दांत आतंकवादी के रूप में मशहूर हैं, जेल में बंद थे पर अब जमानत पर बाहर हैं! अपराधी और आतंकवादी में अंतर सबको मालूम है.
शहाबुद्दीन पर हत्या, रंगदारी, फिरौती वगैरह के आरोप हैं!असीमानंद पर समझौता एक्सप्रेस में सवार अड़सठ लोगों को बम विस्फोट कर उड़ा देने का आरोप है…! वह इस घटना के मुख्य आरोपी हैं। उनके ‘अभिनव भारत’ पर मालेगांव सहित और भी आतंकवादी घटनाओं के आरोप हैं…!
शहाबुद्दीन के खिलाफ ‘संवेदनशील’ लोगों से लेकर मीडिया की ओर से चलाया गया अभियान ‘भरोसा’ पैदा करता है…!यह ‘भरोसा’ बना रहे, इसलिए उन तमाम ‘संवेदनशील’ लोगों और मीडिया को असीमानंद के मसले पर क्या रुख अपनाना चाहिए…?
क्या उन्हें खामोश रह जाना चाहिए. और क्या नीतीश कुमार जैसे नेता को इस बात के लिए पहल करनी चाहिए कि एक आतंकवाद का आरोप जमानत पर बाहर क्यों रहे, उन्हें अंदर क्यों नहीं जाना चाहिए. इसी तरह प्रशांत भूषण या उन जैसे वकीलों को नहीं चाहिए कि वे असीमानंद की जमानत रद्द करवाने के लिए अदालत जायें ?
[author image=”https://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2016/05/jitendra.singh_.jpg” ]जितेंद्र सिंह एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता व सोशल मीडिया कम्पेनर के साथ साथ एक कामयाब एंट्रोप्रेनर भी हैं. उनसे