राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने आज तीसरी बार जदयू के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी संभाल ली। पटना के रवींद्र भवन में जदयू की राज्य परिषद की बैठक उन्होंने अपना पदभार संभाला। यह उनका तीसरा कार्यकाल होगा। हालांकि तकनीकी रूप से यह उनका दूसरा पूर्णकालिक कार्यकाल होगा। 2010 में तत्कालीन अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी के राज्य सरकार मंत्री बन जाने के बाद कारण रिक्त हुए पद पर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया था और वह कार्यकाल सवा दो वर्षों का था।
वीरेंद्र यादव
तीसरी बार बने प्रदेश अध्यक्ष
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में लोकसभा चुनाव में जदयू की जबरदस्त पराजय को उन्होंने झेला तो गत विधान सभा चुनाव में महागठबंधन की जीत श्रेय भी उन्हें ही जाता है। पार्टी अध्यक्ष के रूप में उन्हें पहली चुनौती 2013 में मिली, जब जदयू ने एनडीए से अलग होकर सरकार से भाजपा को अलग कर दिया था। उसके बाद से करीब ढाई साल का समय काफी उथल-पुथल भरा रहा। राजद विधायक दल में टूट, राज्यसभा उपचुनाव में जदयू में बगावत, जीतनराम मांझी की सीएम पद से विदाई, तीन दलों के महागठबंधन का बनना और विधान सभा चुनाव में तीनों दलों की बड़ी जीत जैसी घटनाएं वशिष्ठ सिंह के कार्यकाल में ही हुईं।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष का तीसरा कार्यकाल इसलिए महत्वपूर्ण है कि अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार हैं। नीतीश की संगठनात्मक अपेक्षा और चुनौतियों को व्यावहारिक रूप देने के साथ पार्टी के राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करने की बड़ी जिम्मेवारी बिहार की होगी। बिहार सरकार की उपलब्धियां से ही पार्टी की क्षमता और रणनीति राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखी जाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय को जमीन पर उतारने में बड़ी भूमिका पार्टी कार्यकर्ताओं की होगी। पार्टी का संगठन और कार्यकर्ताओं की कार्यनीति भी काफी हद तक ‘नीतीश निश्चय’ के प्रचार-प्रसार में निर्णायक होगी।
वशिष्ठ नारायण सिंह विधायक, मंत्री और सांसद के रूप में कई बड़ी जिम्मेवारियों का निर्वाह कर चुके हैं। जेपी आंदोलन के महत्वपूर्ण सदस्यों में थे और आंदोलन के दौरान जेल भी जा चुके हैं। एक बार लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए, जबकि राज्यसभा में उनका दूसरा कार्यकाल है। वे नीतीश कुमार के विश्वस्त हैं। बीच में कुछ वर्षों तक उनका नीतीश कुमार से मनमुटाव भी हुआ था, लेकिन जल्दी ही दोनों करीब आए और नीतीश ने उन्हें कई बड़ी जिम्मेवारियां सौंपी। उम्मीद की जानी चाहिए कि वे नयी पारी में संगठन और सत्ता के बीच बेहतर समन्वय बनाकर सरकार के सात निश्चय को जमीन पर उतारने का सार्थक प्रयास करेंगे। साथ ही महागठबंधन में सहयोगी राजद व कांग्रेस के बीच संतुलन, बेहतर समझ और समन्वय बनाकर सरकार की निष्कंटक बनाने का पूरा प्रयास करेंगे।