नीतीश कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी से मिल कर बताया है कि यह बिहार की बारिश से यहां बाढ़ आने के बजाये उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और नेपाल व झारखंड के पानी से बाढ़ का प्रकोप आता है.
उन्होंने कहा कि केंद्र को इस समस्या का स्थाई समाधान निकालना चाहिए. नीतीश ने कहा कि हमारे यहां बाढ़ का तीसरा खेप है। सबसे पहले नेपाल में हुई बारिश से सीमांचल की नदियों में बाढ़ आई। इसके बाद झारखंड में हुई बारिश से फलगू नदी में उफान आया और अब बिहार मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और अन्य जगहों में हुई बारिश के चलते बाढ़ का दंश झेल रहा है। हमलोग ऐसी स्थिति में हैं जहां बारिश चाहे नेपाल में हो, MP में हो या UP में बाढ़ की परेशानी बिहार को ही झेलनी होती है। यह सही मौका है एक्सपर्ट को भेजें और खुले मस्तिष्क से इस पर विचार करें.
मंगलवार को मुख्यमंत्री ने 7 रेस कोर्स जाकर प्रधानमंत्री से मुलाकात कर बाढ़ राहत कार्य में सहायता मांगी है। उन्होंने पीएम से कहा कि जब तक गंगा में गाद जमा होने की समस्या का हल नहीं निकलेगा तब बिहार को बार-बार ऐसे संकट का सामना करना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फरक्का बांध और गंगा में हो रहे सिल्टेशन का मुद्दा उठाया। नीतीश ने कहा कि फरक्का बैराज के उपयोगिता की समीक्षा होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में मात्र दो वर्ष ही बिहार में एक हजार एमएम से ज्यादा वर्षा हुई है, जबकि बिहार का औसत वर्षापात 1,200 एमएम का है। इस बार भी बिहार में अब तक पर्याप्त वर्षा नहीं हुई है। अभी भी बिहार में 14 प्रतिशत वर्षा की कमी है, फिर भी बाढ़ की स्थिति है।