नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी की नयी सरकार को बधाई तो दी है लेकिन उनका नाम लेने के बजाये सिर्कीफ यह कहा है कि नयी सरकार कार्यभार संभाल रही है उन्हें बधाई.
नीतीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है केंद्र की नई सरकार अपना कार्यभार संभाल रही है | उन्हें हमारी शुभकामनायें हैं | साथ ही नई सरकार से हमारी कई अपेक्षाएं भी हैं |
यदि प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-56) से अब तक राष्ट्रीय औसत के अनुसार उद्व्यय का व्यय बिहार में किया गया होता, तो बिहार में करीब डेढ़ लाख़ करोड़ का अतिरिक्त निवेश होता | इसकी नीतिगत और समयबद्ध प्रतिपूर्ति ज़रूरी है |
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) में जहाँ बिहार की औसत विकास दर (स्थिर मूल्य पर) 9.86% थी, वहीँ भारतीय अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर 8.03% रही | इतने तेज़ विकास के बावजूद बिहार की प्रति व्यक्ति आय और राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय के बीच की खाई निरंतर बढ़ी है | साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक एवं विभिन्न आर्थिक सेवाओं पर प्रति व्यक्ति खर्च में भी बिहार सबसे निचले पायदान पर है | हमारी युवा पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित हो इसके लिए बिहार को देश के समकक्ष लाना ज़रूरी है |
बिहार के लिए विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा की हमारी मुहीम आठ वर्षों से जारी है | हमारा संकल्प है कि विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त कर राज्य की जनता को बेहतर जीवन स्तर और रोजगार के अवसर दिलाएंगे और विकास की इस लड़ाई को जीत कर ही दम लेंगे | केंद्र की नई सरकार से हमारी अपेक्षा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए |
बिहार के विभाजन के समय योजना आयोग को ज़िम्मा सौंपा गया था कि एक कोषांग का गठन कर बिहार के infrastructure deficit को चिन्हित कर इसे दूर करने का प्रावधान करे | नतीजतन बिहार को राष्ट्रीय सम विकास योजना (बाद में BRGF का नाम दिया गया) स्पेशल प्लान के तहत वर्ष 2002-03 में वार्षिक सहायता देने की शुरूआत की गयी | 12वीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम को ज़ारी रखते हुए 4000 करोड़ प्रतिवर्ष के दर से राज्य सरकार ने 20,000 करोड़ की मांग की जिसमें से केंद्र सरकार ने केवल 12,000 करोड़ को स्वीकृति दी | इसके आलोक में हम नई सरकार से अपेक्षा करते हैं कि हमारी नीतिसंगत मांग के अनुरूप बिहार को अतिरिक्त राशि दी जाएगी |
साथ ही बिहार में केंद्र की सरकार द्वारा direct चलाई जा रही योजनाओं में काफी धनराशी की आवश्यकता है | उदाहरणस्वरूप, रेलवे की अनेक परियोजनाएं हैं – 1997-98 में स्वीकृत दीघा में गंगा नदी पर बनाए जाने वाले पुल और मुंगेर में गंगा नदी के पुल की कुल प्राक्लित राशि 5283 करोड़ में से 60% ही व्यय हुई है | राज्य की सरकार ने इन योजनाओं में अपने अंश को ससमय दिया है पर केंद्र से समय पर राशि न आने से कार्य बाधित हो रहा है | रेलवे ने बिहार राज्य में चल रही अपनी योजनाओं के लिए बारह हज़ार करोड़ की अतिरिक्त राशि की मांग की है | नई सरकार से अपेक्षा है कि इन लंबित योजनाओं को तय राशि देकर शीघ्र पूरा किया जाएगा |
जहां राष्ट्रीय स्तर पर प्रति लाख़ जनसँख्या पर 322 किलोमीटर सडकें हैं वहीँ बिहार इसके 40% स्तर पर भी नहीं है | बिहार की सरकार ने लगातार पहल की है तब तो ये स्थिति है | हमने 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान अपने स्रोतों से national highway के रख-रखाव पर 1000 करोड़ रूपये खर्च किए | अब तक राज्य को केंद्र ने ये राशि नहीं दी है | इसकी प्रतिपूर्ति शीघ्र की जानी चाहिए |
इसके साथ एक बात और है | किसी भी राज्य के युवा युवतियां देश में कहीं भी जाकर रोज़गार और बेहतर जीवन स्तर के अवसर तलाशने के लिए स्वतन्त्र हैं | किन्तु कई राज्यों में इन्हें स्वीकार नहीं किया जाता जिससे असुरक्षा की भावना पैदा होती है | अतः हमारी अपेक्षा है कि नई सरकार क़ानून बनाएगी जो migrant worker के जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा |
हमारी अपेक्षाओं का आधार है बिहार का विकास तथा देश में विकास की समानता | इसलिए हमारी अपेक्षा है कि नई सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगी, लंबित रेल परियोजनाओं और केंद्र की योजनाओं के लिए उपयुक्त राशि उपलब्ध कराएगी और साथ ही बिहार के तीव्र विकास के लिए विशेष पैकेज भी देगी |