जदयू की इफ्तार पार्टी में नीतीश कुमार की शैली एकदम बदली हुई थी। सुरक्षा घेरे में बंधे नीतीश पूरी भीड़ का मुआयना कर रहे थे। क्राउड कंट्रोल का जिम्मा भी खुद संभाल रहे थे। हज भवन के परिसर में इफ्तार के लिए खाने की पूरी व्यवस्था थी। शुद्ध मांसाहारी। शाकाहारियों को पुलाव से ही संतोष करना पड़ रहा था। पानी का संकट भी गहराया हुआ था। लेकिन नीतीश खुद घुम-घुमकर खान-पान का जायजा ले रहे थे। वीआईपी दीर्घा में जमा भीड़ को खुद हटने का निर्देश दे रहे थे। बाकी काम सुरक्षाकर्मी अपनी शैली में कर रहे थे। कई लोगों ने कहा कि अपनी स्टाइल से नीतीश ने लालू यादव को मात दे दी।
वीरेंद्र यादव
जदयू की ओर से आयोजित इफ्तार पार्टी में राजद प्रमुख लालू यादव के साथ उपमुख्यमंत्रत्री तेजस्वी यादव, विधान सभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, विधान परिषद के प्रभारी सभापति हारुन रसीद, विधान परिषद के पूर्व सभापति अवधेश नारायण सिंह, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ट नारायण सिंह, राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी मौजूद थे। इफ्तार पार्टी गठबंधन से लवरेज थी। अनेक विधान पार्षद और विधायक भी मौजूद थे।
इफ्तार पार्टी में शामिल होने के बाद लालू यादव लौट गये। काफी देर बैठने के बाद नीतीश कुमार जाने के लिए सड़क पर आये कि अशोक चौधरी भी हज भवन पहुंचे। अशोक चौधरी के साथ मुख्यमंत्री वापस लौट आये। इसके बाद वीआईपी दीर्घा में भीड़ जुट गयी। नीतीश कुमार खुद लोगों से हटने का आग्रह कर रहे थे। विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी भी भीड़ हटाने में जुटे रहे। भीड़ हटने की उम्मीद में नीतीश कुमार स्टॉल की ओर निकले। स्टालों से भीड़ छंटने लगी थी कि मुख्यमंत्री को चेहरा दिखाने के लिए कार्यकर्ता स्टॉल की ओर दौड़े। नीतीश कुमार कार्यकर्ताओं से खाने का आग्रह कर रहे थे, लेकिन खाकर अघाये हुए कार्यकर्ता सीएम को चेहरा दिखाने के लिए पीछे-पीछे दौड़ रहे थे। एक कार्यकर्ता हाथ मिलाने के लिए सुरक्षा घेरे को तोड़ने की कोशिश करने लगा तो सीएम ने कहा कि पहले खा लीजिए, तब हाथ मिलाइएगा।
काफी देर तक नीतीश कुमार घुम-घुम कर कार्यकर्ताओं को ‘दर्शन’ दे रहे थे। उधर मीडिया वाले राज्यपाल रामनाथ कोविंद को एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाये जाने के बाद प्रतिक्रिया जानने के बेचैन थे, लेकिन सीएम ने मुंह नहीं खोला। आखिरकार देश का नेता कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो नारे के बीच मुख्यमंत्री अपनी सात नंबरी कार में बैठे और प्रस्थान कर गये। इसके साथ ही हज भवन से भी भीड़ छंटने लगी। खाने के स्टॉल वाले भी अपना हडि़या-बरतन समेटने लगे।