मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले छह साल में चार बार होली नहीं मना पाये.इस बार ठीक होली के दिन रामसुंदर दास के निधन के कारण उन्हें होली समारोह रद्द करना पड़ा.लेकिन अन्य तीन वर्षो में ऐसी कौन सी घटना हुई कि उन्हें होली के हर्षोल्लास से अलग रहना पड़ा?
इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डॉट इन
2015
हालांकि इस वर्ष नीतीश के पास होली मनाने के एक नहीं अनेक कारण थे.होली के कुछ ही हफ्ते पहले उन्होंने जीतन राम मांझी सरकार को अल्पमत में लाने का सफल काम किया और उनके दल के नेताओं ने 22 फरवरी से होली मनानी शुरू कर दी थी. इस बड़ी खुशी को देखते हुए नीतीश कुमार ने इस वर्ष धूमधाम से होली मनाने की घोषणा की.इतना ही नहीं मुख्यमंत्री सचिवालय ने बाजाब्ता इस बात की घोषणा कर दी थी कि इस वर्ष मुख्यमंत्री आवास का दरवाजा आम लोगों के लिए खोल दिया जायेगा. लेकिन ठीक होली की सुबह ही राम सुंदर दास की मौत की खबर ने नीतीश की होली के रंग को फीका कर दिया.और आनन फानन में उन्होंने होली मनाने का फैसला रद कर दिया
2014
नीतीश कुमार ने 2014 में भी होली नहीं मनाने का फैसला लिया. इस वर्ष होली नही मनाने के पीछे नीतीश का तर्क यह रहा कि 2013 के जुलाई में छपरा के मशरख में मिड डे मील खाने से 23 बच्चों की मौत ही गयी थी. हालांकि नीतीश के इस फैसले की काफी आलोचना भी हुई. भाजपा नेता सुशील मोदी ने नीतीश के इस फैसले को घरियाली आंसू करार देते हुए कहा था कि घटना के 9 महीने बाद होली नहीं मनाना नीतीश का घरियाली आंसू है क्योंकि नीतीश उस हादसे के बाद मशरख के लोगों से मिलने तक नहीं गये थे.
2011
2011 में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने होली नहीं मनाने का फैसला लिया था. इस वर्ष जनवरी में उनकी मां परमेश्वरी देवी का निधन हो गया था. अपनी मां की मृत्यु के शोक में नीतीश ने होली नहीं मनायी. इस वर्ष भी राज्य की जनता उनके संग होली की खुशियां नहीं मना सकी.
2010
इससे पहले नीतीश कुमार ने सन 2010 में भी होली नहीं मनाई क्योंकि उस वर्ष जद यू के एमएलए और वरिष्नठ नेता रेंद्र सिंह के पुत्र अभय सिंह ने होली से पहले कथित रूप से अपनी पत्नी, बेटी और खुद को गोली मार ली थी. इस घटना से आहत नीतीश कुमार ने घोषणा की कि वह होली नहीं मनायेंगे. इस वर्ष लालू प्रसाद ने भी होली नहीं मनायी थी.
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