पटना का मुख्यमंत्री आवास सीएम और पूर्व सीएम के विवाद में उलझ गया है। राजनीतिक गलियारे की तपिश सीएम हाउस के इंटरनल सड़कों पर भी महसूस की जा सकती है। सड़क एक, मैदान एक, नाम एक, पार्क एक। भेद है तो सिर्फ दावेदारी का। सीएम हाउस के सर्कुलर रोड वाले हिस्से पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अधिकार है और राजभवन वाले हिस्से पर पूर्व सीएम जीतनराम मांझी का कब्जा है।
वीरेंद्र यादव
सीएम हाउस से जुड़े अण्णे मार्ग का दुर्भाग्य यह है कि राजभवन का साइट मांझी के लोगों के लिए है और सर्कुलर रोड वाला गेट नीतीश कुमार के अधिकारियों के लिए है। लेकिन पूरे सीएम हाउस पर सुरक्षा का तंत्र नीतीश कुमार का चलता है। जीतनराम मांझी के पास पहले एक बेस फोन था, वह फोन उनसे छीन लिया गया है। जीतनराम मांझी किसी भी बाहरी आदमी को अपनी इच्छा से अंदर बुलाने का अधिकार नहीं रखते है। वह अपने साथ किसी को अंदर नहीं ले जा सकते हैं। यदि कोई उनसे मिलने राजभवन वाले गेट पर पहुंच गया है तो पहले मांझी के स्टाफ सुरक्षा अधिकारी से आग्रह करेंगे। सुरक्षा अधिकारी वाकीटॉकी पर मैसेज सर्कुलेट करेगा। उस मैसेज के बाद ही आपको अंदर जाने की इजाजत मिल सकती है।
गेट को भी बांट दिया
अण्णे मार्ग पर सीएम हाउस में प्रवेश करने के तीन गेट हैं। दो गेट पर अभी मांझी का कब्जा है, जबकि एक गेट से सीएम हाउस के अधिकारी आते-जाते हैं। राजभवन की ओर से पहला गेट मांझी के काफिले के लिए है। सीएम हाउस के अंदर मांझी के निजी सुरक्षा और निजी स्टाफ नीतीश के अधिकार क्षेत्र वाले हिस्से में जाने से परहेज करते हैं। सीएम हाउस के दो कार्यालय संवाद और विमर्श तथा जनता दरबार का हिस्सा ही नीतीश के कब्जे में है। सीएम सचिवालय के अधिकारी भी मांझी के कब्जे वाले हिस्से में जाने से परहेज करते हैं। सीएम हाउस में कार्यरत माली ही हैं, जो दोनों हिस्सों में सामान्य रूप से आ-जा सकते हैं। सीएम हाउस पर कब्जे को लेकर मांझी और नीतीश के बीच चल रहे शीतयुद्ध का असर यह है कि कभी सत्ता से गुलजार रहने वाला अण्णे मार्ग आज विरान हो गया है। अण्णे मार्ग को भी फिर से गुलजार होने की प्रतीक्षा है।