मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत सभी विधायक और विधान पार्षदों की गाडि़यों पर से 1 मई से ‘लालबत्ती की धमक’ उतर जाएगी। आज केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। फैसले के अनुसार राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री की गाडि़यों पर भी लाल बत्ती नहीं रहेगी।
1 मई से उतर जाएगी ‘लालबत्ती की धमक’
केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का असर विधायक सभा और विधान परिषद के उन सदस्यों पर भी पड़ेगा, जो सदन की किसी समिति के अध्यक्ष के रूप में वाहनों पर लाल बत्ती लगाकर घुम रहे हैं। विधान मंडल के दोनों सदनों में तीन दर्जन से अधिक समितियां हैं, जिनके अध्यक्षों को लालबत्ती का इस्तेमाल करने का अधिकार है। इसके साथ ही सदन के नेता और नेता प्रतिपक्ष को भी लाल बत्ती का मोह त्यागना पड़ेगा। विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सुशील कुमार मोदी, राजद विधायक दल के नेता तेजस्वी यादव की गाडि़यों से भी लालबत्ती उतर जाएगी। मंत्री और अधिकारी भी लालबत्ती का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।
राजनीतिक गलियारे में लालबत्ती सत्ता की धमक का पर्याय माना जाता है। वह धमक 1 मई से समाप्त हो जाएगी। केंद्र सरकार ने यह निर्णय वीआईपी संस्कृत को खत्म करने के लिए लिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, मोटर वाहन अधिनियम 108 के तहत केंद्र व राज्य सरकारों के अतिविशिष्ट व्यक्तियों को वाहनों पर लाल बत्ती लगाने का अधिकार मिला हुआ। केंद्र सरकार इस नियमित में बदलाव कर लालबत्ती का अधिकार वापस लेने जा रही है।