मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक कर स्वतंत्रता आंदोलन की महान विभूतियों के बीच विवाद बढ़ाने की कोशिश की जा रही है । श्री कुमार ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती के अवसर पर में उनकी आमदकद प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जिनका आजादी की लड़ाई में कोई लेना-देना नहीं था, उनकी कोशिश है कि इसके जरिये आजादी की लड़ाई की विभिन्न धाराओं के बीच टकराव पैदा हो लेकिन सब लोग ये बात समझते है । हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नेताजी से संबंधित दस्तावेज जारी होना चाहिये और लोगों को इसके बारे में स्वतंत्र मनन एवं चिंतन करना चाहिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई पीढ़ी को भी यह मालूम है कि देश को लम्बे एवं कठिन संघर्ष के बाद आजादी मिली। आज देश आजाद है, लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम है लेकिन यदि वे (मोदी सरकार) इसे कोई और रंग देना चाहते हैं तो सही नहीं होगा । उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में सबका अपने ढ़ंग से योगदान था। पंडित जवाहर लाल नेहरू और नेताजी का योगदान सबको मालूम है । देश के लोग सभी की इज्जत करते हैं। यदि वे टकराव भी पैदा करना चाहेंगे तो उन्हें नहीं लगता है कि इसका कोई प्रभाव पड़ेगा ।
श्री कुमार ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित छात्र रोहित बेमुला की खुदकुशी पर प्रधानमंत्री ने देर से प्रतिक्रिया दी है। प्रधानमंत्री भले ही इस घटना को सिर्फ एक मां के अपना लाल खोने के रूप में देख रहे हैं लेकिन वास्तव में यह घटना देश में जो असहिष्णुता का वातावरण है, को उजागर करता है । उन्होंने कहा कि यह कौन सी बात है कि दलित छात्रों को रिसर्च स्कॉलर बनकर रिसर्च करने का अधिकार नहीं है।