समाजवादी नेता व पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा है कि जिस काला धन को पहाड़ बताकर नरेंद्र मोदी जी ने नोटबंदी के ज़रिए उसको तोड़ने का एलान किया था उससे चुहिया निकलती दिखाई दे रही है।
उन्होंने कहा कि मोदी जी का अनुमान था कि नगदी में देश का काला धन छिपा हुआ है।इसलिए नोटबंदी से बड़े पैमाने पर काला धन बाहर आएगा।यानी जितने मूल्य का पुराना नोट बैंकों मे वापस नहीं लौटेगा वह काला धन होगा।अनुमान लगाया गया था कि 14.5 लाख करोड़ रूपए मूल्य के नोट में से कम से कम तीन लाख करोड़ रूपए मूल्य का पुराना नोट बैंकों में वापस नहीं लौटेगा।यानी इतना काला धन हमारे नगदी में छिपा हुआ था।इससे दुनिया भर में मोदी जी चेहरा चमकेगा।रिज़र्व बैंक के खाते में यह राशि अतिरिक्त हो जाएगी।सरकार रिज़र्व बैंक से यह राशि हासिल कर ग़रीबों के लिए योजना चलाएगी और ग़रीब मोदी जी का जयकारा लगायेंगे।
लेकिन यह होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।वित्त राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल जी के मुताबिक़ आठ नवंबर को जिस दिन नोटबंदी की घोषणा हुई थी उस दिन पाँच सौ के 8.58 और एक हज़ार के 6.86 करोड़ नोट बाज़ार में थे।
श्री तिवार ने कहा कि रिज़र्व बैंक के अनुसार इन 15.44 करोड़ नोटों में से कल तक 11 करोड़ नोट बैंकों मे जमा हो चुके हैं।जबकि बैंकों में नोट जमा करने की अंतिम तारीख़ 30 दिसंबर है।जानकारों का अनुमान है कि तबतक 90 से 95 फीसद नोट जमा हो जाएँगे।यानी संपूर्ण नगदी में काला धन दाल में फोरन के बराबर साबित होने वाला है।दूसरी ओर अर्थशास्त्रियों के मुताबिक़ नोटबंदी से अबतक देश के जीडीपी को लगभग डेढ़ लाख करोड़ रूपए का नुक़सान हो चुका है।
नोट छापने की हमारी जो क्षमता है उसके मुताबिक़ आपा-धापी के इस माहौल से देश को निकलने मेंअभी चार से पाँच महीना और लगने वाला है।इसको अंधेर नगरी-चौपट राज नहीं तो और क्या कहेंगे