सुप्रीम कोर्ट ने काफी सख्त रवैया अपनाते हुए कहा है कि नौकरशाहों को काम करने की छूट दी जाए, साथ ही उन्हें ट्रासंफर पोस्टिंग के झमेले में उलझाकर राजनेताओं का नौकर न बनाया जाए। जस्टिस आर एम लोढ़ा तथा ए आर दवे की खंडपीठ ने ये सख्त टिप्पणी झारखंड और बिहार के बीच बिजली संयत्र के विवाद को लेकर दायर मुकदमें की सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने कहा कि बिहार के अधिकारियों ने संयत्र को चलाने के लिए उत्तम प्रस्ताव दिया है पर राजनेता उस पर बैठ गए हैं, जबकि इस प्रस्ताव से दोनों राज्यों का भला हो रहा है। लेकिन नेता इसमें निजी कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम को बीच में लाने का प्रयास कर रहें हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि देश में उर्जावान तथा प्रतिभाशाली नौकरशाह हैं, पर उन्हें ट्रांसफर पोस्टिंग के चक्कर में उलझाकर उनकी उर्जा को खत्म कर दिया जाता है। इस तरह वे नेताओं के आगे पीछे घूमते रह जाते हैं। यह सबसे गलत होता और इस कारण देश को नौकरशाहों की प्रतिभा का सही फायदा नहीं मिल पाता। कोर्ट ने यह भी कहा कि एक बार बिहार में एक दौरे के दौरान 600 किलोमीटर की दूरी तक उन्हें एक भी बल्ब नजर नहीं आया। नेताओं के संकुचित दृष्टि की जमकर आलोचना करते हुए कहा कि बिहार और झारखंड में बिजली ही नहीं पानी और टायलेट तक की भी भारी कमी है। 60 वर्षों के बाद भी इस तरह कमी से जूझ रहे राज्य के नेताओं को इसका कोई होश नहीं है। आखिर हम कहां जा रहे हैं।