पासपोर्ट बनवाने या नौकरी के लिए पुलिस वैरिफिकेशन में अब थानेदार की मनमौजी नहीं चलेगी, साथ ही अब आप पुलिस को ‘सलामी’ न भी दें तो उसे 3 दिन की डेडलाइन में यह काम खुद ही निपटाना होगा.
केंद्र सरकार एक ऐसे प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है कि अब पासपोर्ट निर्गत करने से पहले पुलिस वैरिफिकेशन के लिए अब यह जरूरी नहीं होगा कि वह आवेदक के तीन पड़ोसियों से पूछ-ताछ करे, बल्कि इसके लिए पुलिस सिर्फ आवेदक के क्रिमनल रिकार्ड को खंगालेगी.
हालांकि सरकार ने जहां एक तरफ पुलिस वैरिफिकेशन को आसान और समय सीमा से जोड़ने की कोशिश की है तो दूसरी तरफ आवेदकों द्वार गलत सूचना देने पर कड़ी सजा का भी प्रावधान किया जा रहा है.
नवभारत टाइम्स के अनुसार पासपोर्ट बनवाने, आवास, पेंशन, नौकरी या कोई और सरकारी सुविधा लेने या फिर इनकम, कैरेक्टर, जाति आदि के सर्टिफिकेट बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। केंद्र ने राज्य सरकारों और अपने मंत्रालयों को लिखी चिट्ठी में कहा है कि आम लोगों को एक सर्टिफिकेट बनवाने के लिए बेवजह परेशानी उठानी पड़ती है. कामकाज के लिए लोगों का तमाम जगहों पर आना-जाना लगा रहता है. राज्यों के अलग-अलग कानून होने से उन्हें हर जगह नए सिरे से सरकारी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं. ऐसे में सभी जगह एक जैसा कानून होना चाहिए.
इसके लिए यह भी प्रस्ताव है कि तमाम राज्य सरकारें इस तरह के मामलों के निपटारे के लिए अलग से अधिकारी नियुक्त करेंगी.
क्या होगी सजा
सरकारी दस्तावेज प्राप्त करने के लिए अगर कोई गलत सूचना देता है तो उसे एक साल की सजा हो सकती है. वहीं गर किसी ने गलत सुबूत दिया तो उसे 3 साल की सजा हो सकती है जबकि अगर किसी ने सूचना छुपाने की कोशिश की तो उसे दो साल तक जेल की हवा खानी पड़ सकती है.
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