न्यूयॉर्क टाइम्स के सम्पादकी बोर्ड का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी अगर लोगों में भय और विद्वेष को बढ़ावा देते हैं तो वह भारत को प्रभावशाली नेतृत्व नहीं दे सकते.
बोर्ड ने अपने सम्पादकीय में लिखा है कि मोदी ने अभी तक विपक्ष के साथ काम करने और असहमति को सहन करने की क्षमता नहीं दिखाई है.
मोदी की वजह से भाजपा से उसके 17 साल पुराने सहयोगी जदयू ने पहले ही नाता तोड़ लिया था। जदयू जैसी महत्वपूर्ण क्षेत्रीय पार्टी ने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर मोदी को स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया था.
गुजरात में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगों का जिक्र करते हुए संपादकीय में कहा गया है कि भारत बहुधर्मी देश है और मोदी अगर लोगों में भय और द्वेष को प्रोत्साहित करते हैं तो वह इसे प्रभावी नेतृत्व नहीं दे सकते. शनिवार को प्रकाशित हुए इस संपादकीय में गुजरात में मोदी के आर्थिक उन्नति व विकास के दावों पर भी गंभीर सवाल खड़ा किया गया है. इसमें कहा गया है कि गुजरात में रहने वाले मुसलमान भारत के अन्य क्षेत्रों के मुसलमानों की अपेक्षा ज्यादा गरीब हैं.
बोर्ड ने सम्पादकीय में लिखा है कि 2002 में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गये जिनमें ज्यादतर मुसलमान थे उस वक्त भी मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और आज भी हैं. मोदी अब प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी हैं लेकिन भारत के 138 मीलियन मुसलमान और अन्य अल्पसंख्यकों को मोदी की विभाजनकारी रानीति से बहुत कठिनाई है.
न्यूयॉर्क टाइम्स के एडिटोरियल टीम इस प्रकार है
एंड्रियू रोसेनथल सम्पादक,टेरी टॉंग, पेज एडिटर, रोबेट बी सेम्पल एसोसिएट एडिटर, डेविड फायरस्टोन, प्रोज्क्ट एडिटर, विकास बजाज प्रमुख इंटरनेशनल इकोनामिक्स आदि शामिल हैं.