-अनिता गौतम–
कभी पवित्रता का प्रतीक रही गंगा अब मलीन और दुषित है.बल्कि जहरीली भी. इसके कतरे कतरे में इतना जहर समा चुका है कि इसके किनारों पर बसे लोगों की जिंदगी भी खतरे में है.
यूं तो अपने उद्गम के कुछ दूर तक इसकी हालत बहुत भयावह नहीं, पर जैसे जैसे यह नदी आगे बढ़ती जाती है इसका हर कतरा, जो कभी अमृत हुआ करता था, अब विषैला हो चुका है.एक हालिया अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि उत्तरप्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के गंगा तट कैंसर के सबसे खतरनाक क्षेत्र बन चुके हैं.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अध्ययन नतीजे दिल दहलाने वाले हैं.इसके अनुसार नदी में भारी धातु और कैंसर पैदा करने वाले रसायनों की मात्रा खतरनाक हद तक बढ़ चुकी है.अध्ययन दल के प्रमुख नंद कुमार कहते हैं, “हमने पाया है कि गंगा तटों के इर्दिगर्द कैंसर की संभावना सबसे ज्यादा है.हम जल्द ही यह अध्ययन रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपने वाले हैं”. यह खासा चिंता का कारण है.
ऐसे खतरनाक रसायनों से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्र- पूर्वी उत्तरप्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल हैं. इन क्षेत्रों में गॉल ब्लॉडर के कैंसर और किडनी,लिवर और त्वचा की बीमारियां आम हो चुकी हैं. अध्ययन के मुताबिक इन क्षेत्रों में कैंसर की संभावना जितनी अधिक है, उतनी देश के किसी अन्य भाग में नहीं है.
अध्ययन के अनुसार गंगा के इन क्षेत्रों में गॉल ब्लॉडर के कैंसर की स्थिति दुनिया भर में दूसरे सबसे खतरनाक स्तर पर है. जबकि प्रोस्टेट कैंसर के मामले में यह क्षेत्र भारत में सबसे आगे है.
नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम का अध्ययन कहता है कि इन क्षेत्रों में प्रत्येक दस हजार लोगों में से 450 मर्द और एक हजार औरतें गॉल ब्लॉडर के कैंसर के शिकार पाये गये हैं.
रिपोर्ट बताती है कि उत्तरप्रदेश का बनारस, बिहार के पटना और वैशाली का गंगा तट के इलाके के अलावा पश्चिम बंगाल के मुरसिदाबाद के इलाके सबसे खतरनाक स्थिति में हैं.
जाहिर सी बात है कि सदियों तक पवित्रता का प्रतीक रही यह नदी आज हमारे लिए मौत का वाहक सिर्फ इसलिए बनी है कि सभ्यता के विकास के साथ-साथ हमने इस नदी को प्रदूषित करने की कोई कसर नहीं छोड़ी है.
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