गया के डिप्टी मेयर को एक होटल में रंगरेलियां मनाते गिरफ्तार करने वाले पटना के एसएसपी मनु महाराज को हटाने का प्रयास तेज है क्योंकि अगर वह रहे तो कई सफेदपोश नेताओं के चेहरे उजागर होने का खतरा है.

मोहन श्रीवास्तव शेखर सुमन के साथ
मोहन श्रीवास्तव शेखर सुमन के साथ

विनायक विजेता

अंदरुनी और विश्वस्त सूत्रों से मिल रही खबर के अनुसार बिहार और झारखंड के कुछ दिग्गज कांगे्रसी नेता बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर मनु महाराज को पटना से स्थानांतरित करने का दवाब बनाने की कवायद में लगे हैं।

ऐसे नेताओं को यह डर है कि कहीं तल्ख स्वभाव वाले मनु महाराज इस सेक्स स्कैंडल में उन सफेदपोश राजनेताओं का नाम अपनी जांच में उजागर न कर दें जिनका गया के उप-महापौर ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव से मधुर सबंध ही नही बल्कि उसके सहयोग से रंगरेलियों का भी लाभ उठाते रहें हैं।

सूत्र बताते हैं कि जिस रात मोहन श्रीवास्तव की गिरफ्तारी हुई उस रात उनके साथ एक कांग्रेसी नेता सह पूर्व मंत्री भी थे जो छापेमारी के कुछ देर पहले ही वहां से निकल गए थे। देर रात उन्हें जैसे ही छापेमारी और मोहन श्रीवास्तव की गिरफ्तारी की खबर मिली वह रात ही में सड़क मार्ग से पटना से रांची निकल लिए।

उन्होंने अपने एक खास राम प्रमोद सिंह को रांची में बैक डेट से किसी होटल में रुम बुक कराने का निर्देश दिया जिस निर्देश के तहत रांची के होटल में रूम भी आरक्षित हो गया। बाद में वह नेता रांची से ही फोन कर इस पूरे मामले से अपने को अनभिज्ञ होने की बात कह मीडियाकर्मियों से जानकारी मांगी।

मनु को महंगा पड़ सकता है सफेदपोशों के गिरेबान पर हाथ रखना
मनु को महंगा पड़ सकता है सफेदपोशों के गिरेबान पर हाथ रखना

कई मीडियाकर्मियों को उन्होंने अपने मोबाइल फोन के बजाए रांची स्थित होटल के लैंडलाइन नंबर से संपर्क किया ताकि यह जाहिर हो कि वो वास्तव में रांची में ही हैं।

सूत्र बताते हैं कि ये दबंग कांग्रेसी नेता ,अभी रांची में ही डेरा डाले बैठे हैं और दवाब बना रहे हैं कि वो पैरवी कर पटना के एसएसपी को पटना से हटवाएं। गौरतलब है कि भाजपा से अलग होने के बाद नीतीश कुमार की सरकार कांगे्रस की ही वैशाखी पर टिकी है।

हटाये जाते रहे हैं एसपी

मोहन श्रीवास्तव का सम्बन्ध अभिनेता और कांग्रेसी नेता शेखर सुमन, हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव सहित कई दिग्गज कांग्रेसी नेताओं के साथ रहा है जिसका प्रमाण ये तस्वीर है. बिहार में इमानदार अधिकारियों को इस तरह से हटाने का इतिहास रहा है। इसका क्रम कांग्रेस के ही शासनकाल से चलता आया है। 1982 में जब डी एन गौतम रोहतास के एसपी थे तो उन्होंनें अपराधियों और डकैतों को मदद पहुंचाने के आरोप में तब सासाराम के दिग्गज कांग्रेसी नेता पंडीत गिरीश नारायण मिश्र पर हाथ डाला जिसका परिणाम उन्हें तुरंत तबादले के रुप में चुकाना पड़ा।
वर्ष 1983 में पटना के तत्कालीन एसपी किशोर कुणाल ने श्वेत निशा उर्फ बॉबी हत्याकांड में जब कई राजनेताओं और उनके पुत्रों की संलिप्तता का खुलाशा किया तो उन्हें भी पटना से हटा दिया गया। 80 के दशक से शुरू हुई यह राजनीतिक परंपरा की भेंट अब बिहार के चर्चित आईपीएस और पटना के एसएसपी मनु महाराज भी चढ़ सकते हैं

By Editor


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