पिछले विधान सभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार के कंपेन का मुख्‍य नारा था- झांसे में न आएंगे। चुनाव के दौरान जनता झांसे में नहीं आयी और लालू यादव-नीतीश कुमार की जोड़ी को ‘ओडि़या’ से बहुमत दिया। लेकिन 20 महीने में नीतीश लालू के समर्थन से भरुआ आ गये। झांसे वाला नारा भूल गये और भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया। नीतीश बहुमत जीत गये। लेकिन बमुश्किल तीन महीना भी नहीं हुआ था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पटना विश्‍वविद्यालय के शताब्‍दी समारोह में उन्‍हें झांसा देकर चले गये।

वीरेंद्र यादव

करीब सवा 11 बजे प्रधानमंत्री शताब्‍दी समारोह के मंच पर आये। विश्‍विद्यालय के कुलपति ने स्‍वागत भाषण दिया। उपमुख्‍यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने विश्‍वविद्यालय के इतिहास पर प्रकाश डाला और यूनिवर्सिटी के प्रोडक्‍ट के बारे में अपने समेत कुछ नेताओं को ‘धवल’ बताया और लालू यादव को ‘कलंक’ के रूप में निरुपित किया। सुशील मोदी नीतीश कुमार की लोकप्रियता से गदगद रहे। उन्‍होंने कहा कि नीतीश कुमार के साथ सरकार बनाकर भाजपा ने बिहार का गौरव वापस ला दिया है और अब प्रधानमंत्री के आगमन से विश्‍वविद्यालय का गौरव भी लौटेगा। सुशील मोदी के संबोधन का सारांश यही था।

मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार का मन आह्नादित था। उनके विश्‍वविद्यालय के सौ साल पूरा होने के मौके पर प्रधानमंत्री विश्‍वविद्यालय में आये हैं। पिछले जनवरी में ही शताब्‍दी समारोह पर आने का निमंत्रण प्रधानमंत्री को दिया था। लंबी-चौड़ी भूमिका के बाद नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री से पटना विश्‍वविद्यालय को केंद्रीय विश्‍वविद्यालय का दर्जा देने की मांग की और कहा कि इसका लाभ बिहार को मिलेगा। इस दौरान छात्र भी मोदी-मोदी का नारा लगा रहे थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12.03 बजे अपने संबोधन की शुरुआत की। आधे घंटे के भाषण में उन्‍होंने पटना विश्‍वविद्यालय की उपलब्धियों के पुल बांध दिये। प्रधानमंत्री के भाषण सुनकर मंच पर बैठे पटना विश्‍वविद्यालय के पूर्व छात्र सुशील मोदी, अश्विनी चौबे, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार और रविशंकर प्रसाद का चेहरा लहलहा रहा था। प्रधानमंत्री ने जब पटना विश्‍वविद्यालय को केंद्रीय विश्‍वविद्यालय के दर्जे से जुड़ी बात की शुरुआत की तो श्रोता भी उत्‍साहित हो गये। खूब तालियां बजीं। नीतीश और सुशील का चेहरा खिल गया। लेकिन ये क्‍या। प्रधानमंत्री ने तो संभावनाओं की बोली लगा दी। उन्‍होंने कहा- केंद्रीय विश्‍वविद्यालय का दर्जा क्‍या होता है। हम उससे ज्‍यादा दे रहे हैं। इस दौरान शोध, अध्‍ययन, तकनीकी से लेकर स्‍वायतता की बात करते रहे। काम करने की स्‍वतंत्रता की बात कही। अंत में उन्‍होंने फार्मूला फेंका- हम देश के 10 निजी और 10 सरकारी विश्‍वविद्यालयों को 10 हजार करोड़ का पैकेज दे रहे हैं। इसके लिए निर्धारित मानदंड को पूरा कीजिए और ले जाइए 10 हजार करोड़। लेकिन पटना विश्‍वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा देने का मामला टाल गये। इस दौरान मंचासीन नेताओं के चेहरे के रंगत बदल गये। उम्‍मीदों पर ‘मट्ठा’ फिर गया। इसके बाद दर्शकों के बीच विरोध के स्‍वर उठने लगे। मीडिया वाले भी झांसे के झंवावत में अपने लिए खबर तलाशने में जुट गये।

By Editor


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