पटना के गांधी मैदान हादसे में प्रशासनिक चूक को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। गृहसचिव अमीर सुबहानी और एडीजी गुप्तश्वेर पांडेय की टीम ने जांच भी शुरू कर दी है। जांच टीम आगामी मंगलवार को पटना जिलाधिकारी के कोर्ट में उपस्थित होकर आम लोगों के लिखित बयान स्वीकार करेगी और मौखिक बयानों को दर्ज करेगी, ताकि हादसे से जुड़े तथ्य जुटाए जा सकें। इस बीच मानवाधिकार आयोग भी गंभीर दिख रहा है।
विनायक विजेता
बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टीस बिल्लाल नजकी ने विजयादशमी की शाम गांधी मैदान के बाहर मची भगदड़ में कुचलकर 33 लोगों की हुई दर्दनाक मौत पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि बिहार मानवाधिकार आयोग की इस घटना पर नजर है। उन्होंने कहा कि लगातार पांच दिनों की छुट्टी के बाद आगामी 7 अक्टूबर को आयोग का दफ्तर खुलने के बाद वह आयोग के सदस्यों के साथ इस मामले पर मंथन करेंगे। उन्होंने कहा कि मामले की अगर समुचित जांच नहीं हुई तो राज्य मानवाधिकार आयोग इस मामले पर स्वत: संज्ञान ले सकता है।
इधर आयोग के वरीय सदस्य व राज्य के पूर्व डीजीपी नीलमणि ने इस मामले में पूछे जाने पर बताया कि अगर कोई पीड़ित कोई व्यक्ति इस मामले में मानवाधिकार आयोग को आवेदन देता है तो स्वत: संज्ञान की जरुरत नहीं पडेगी। रविवार को रांची से पटना लौट रहे नीलमणि ने हजारीबाग के रास्ते से ही फोन पर बताया कि आयोग की नजर इस मामले में प्रसारित और प्रकाशित खबरों पर है। आयोग को जब यह महसूस होगा कि भगदड़ मामले की निष्पक्षता और उचित तरह से जांच नहीं हुई है तब आयोग अखबारों में प्रकाशित खबरों के आधार पर स्वत: संज्ञान ले सकता है।