हिंदुस्तान के सीवान के पत्रकार राजदेव रंजन हत्या मामले में मीडिया के वर्ग ने शहाबुद्दीन को दोषी साबित करने का अभियान चलाया था लेकिन इस मामले में जो चार्जशीट दाखिल की गयी है उसमें उनका नाम तक नहीं है.
गौरतलब है कि भाजपा ने इस मामले में शहाबुद्दीन पर निशाना साधते हुए सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी.
सीबीआई की भूमिका पर चुप क्यों है विपक्ष
राज्य सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंप भी दिया था. लेकिन सीबीआई ने इसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. इस मामले पर न तो मीडिया और न ही भाजपा की तरफ से अब कुछ कहा जा रहा है. इस मामले में बिहार पुलिस पर जिन्हें भरोसा नहीं उनसे पूछा जाना चाहिए कि केंद्र की सीबीआई को जब जांच सौंपी जा चुकी है तो वह अभी तक क्या कर रही है?
सोमवार को सीवान पुलिस ने इस मामले में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. इसमें छह आरोपियों का नाम है. इन आरोपियों में लड्डन मियां, रोहित, सोनू, विजय, राजेश व रिशु का नाम शामिल है.
राजदेव की हत्या मई माह में हुई थी. मीडिया के एक वर्ग ने इस मामले में राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के खिलाफ आक्रामिक अभियान चलाया था. एक बड़े अखबार ने अपनी वेबसाइट पर तो खबर का शीर्षक – ‘शहाबुद्दीन के आर्डर पर लड्डन ने किया था जर्नलिस्ट का मॉर्डर’ छापा था. लेकिन उस खबर के अंदर इस बात को प्रमाणित करने के लिए एक शब्द का भी उल्लेख नहीं था. बाद में उस वेबसाइट ने अपनी खबर एडिट कर दी थी.
इसी तरह आजतक ने अपनी वेबसाइट पर लिखा था- ‘पत्रकार राजदेव रंजन की हत्याकांड में सीवान के माफिया डॉन शहाबुद्दीन का कनेक्शन सामने आने से बिहार में महाजंगल राज के नारे गूंजने लगे हैं’.
मीडिया के आक्रामक तेवर के कारण सीवान जेल में बंद शहाबुद्दीन को दूसरी जेल में शिफ्ट तक करना पड़ा था.
उस समय सत्ताधारी दल ने यह आरोप लगाया था कि मीडिया का एक वर्ग सरकार को बदनाम करने में लगा है.