हिन्दी साहित्य मे अप्रतिम योगदान के लिए, भारत सरकार के केंद्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा ‘विवेकानंद हिन्दी सेवी सम्मान’ से विभूषित किए जाने पर, आज बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, सम्मेलन के प्रधानमंत्री आचारी श्रीरंजन सूरिदेव का अभिनंदन किया गया. यह सम्मान उन्हे विगत 30 मई को राष्ट्रपति भवन मे आयोजित एक समारोह मे भारत के महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा प्रदान किया गया था. सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे डॉ अनिल सुलभ ने श्री सूरिदेव को पुष्प-हार, पुष्प-गुच्छ तथा वंदन-वस्त्र प्रदान कर उनका अभिनंदन किया.
नौकरशाही डेस्क
इस दौरान डॉ सुलभ ने कहा कि आचारी सूरिदेव का साहित्यिक अवदान हिन्दी साहित्य मे दधीचि का स्थान रखने वाले आचार्य शिवपूजन सहाय के समान है. इन्हें उनकी ही भांति, भारत सरकार के पद्मभूषण सम्मान से विभूषित किया जान चाहिए. विगत 27 मई को सम्पन्न हुई सम्मेलन की स्थाई-समिति ने भी प्रस्ताव पारित कर श्री सूरिदेव के लिए अनुशंसा की गई है. शीघ्र ही यह अनुशंसा भारत सरकार को भेज दी जाएगी.
वहीं, सम्मेलन के साहित्य मंत्री और विद्वान आलोचक डा शिववंश पाण्डेय ने श्री सूरिदेव के साहित्यिक अवदानों की विस्तृत चर्चा करते हुए उन्हें सरस्वती का स्तुति साधक बताया. उन्होने कहा कि सूरिदेव छह दशक से हिन्दी की सेवा कर रहे हैं. हिन्दी,संस्कृत, पाली, अपभ्रंश तथा जैन साहित्य मे इनके अवदानों पर अनेक शोध किए जा सकते है. इनके दर्जनों ग्रंथ ऐसे हैं, जिन्हें संदर्भ-ग्रन्थों के रूप मे उपयोग किया जा सकता है. इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त ने कहा कि श्री सूरिदेव ने अपने साहित्यिक प्रकाश से समाज मे उजाला फैलाया है. यह सम्मान पाकर बिहार के हिन्दी सेवियों का गौरव बढ़ाया है.
उन्होंने कहा कि भले ही कुछ थोड़े से लोग सम्मेलन के विरुद्ध दुष्प्रचार कर इसकी छवि धूमिल करने की चेष्टा कर रहे हों, पर उन्हे सम्मेलन के सारस्वत कार्यों से उन्हे स्वयं उत्तर मिल जाएगा. अपने कृतज्ञता-ज्ञापन के क्रम में श्री सूरिदेव ने कहा कि आज जो आचार्य श्री शिवपूजन सहाय की आर्षवाणी सार्थक हुई है. शिवाजी कहा कराते थे कि जिसे कोई पुरस्कृत नही करता उसे भगवान पुरस्कृत करते हैं. मेरी सारस्वत-साधना किसी पुरस्कार की अभिलाषा से नहीं, साहित्य की भावना से है.
वैशाली जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन की ओर जिलाध्यक्ष शशि भूषण सिंह ने अंग-वस्त्रम देकर श्री सूरिदेव को सम्मानित किया. सम्मेलन के उपाध्यक्ष पं शिवदत्त मिश्र, डा शंकर प्रसाद, बलभद्र कल्याण, डा मधु वर्मा, प्रो कल्याणी कुसुम सिंह, कुमार अनुपम, बच्चा ठाकुर, ओम प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, ओम प्रकाश जमुयार, सुमेधा पाठक, कवि राज कुमार प्रेमी, डा अनुपमा नाथ, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, डा सरोज तिवारी, शालिनी पाण्डेय, लता प्रासर, चंद्रदीप प्रसाद, नीरव समदर्शी, किरण रंजन, अंबरीष कान्त,तथा विश्वमोहन चौधरी ने भी अपने सम्मानोदगार व्यक्त किए। मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्णरंजन सिंह ने किया।