राजद नेतृत्व को चुनौती देने और खुद को लालू प्रसाद का उत्तरादिकारी घोषित करने वाले सांसद पप्पू यादव को आखिरकार पार्टीस बाहर का रास्ता दिखा ही दिया गया. वह छह साल के लिए निकाले गये हैं.
पप्पू यादव डेढ़ साल पहले ही लालू यादव की पार्टी में शामिल हुए ते और मधेपुरा से राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर सासंद बने थ . राजद प्रमुख लालू यादव और पप्पू यादव के बीच विवाद उसी समय से शुरू हो गया था जब पप्पू ने नीतीश कुमार के खिलाफ जीतन राम मांझी का समर्थन किया था। पप्पू का यह भी कहना था कि मांझी को राजद में शामिल किया जाए और उन्हें पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया जाए। लेकिन पप्पू यादव की इस मांग को लालू यादव ने स्वीकार नहीं किया.
गौरतलब है कि पप्पू यादव, लालू प्रसाद के चारा घोटला मामले में रांची जेल में जाने के बाद उनके करीब आये थे और तब उन्होंने लालू को सामाजिक न्याय का मसीहा बताते हुए उनके खिलाफ सामंतियों की साजिश बताया था. इसके बाद लोकसभा चुनाव से कुछ पहले वह लालू के संग हो गये और चुनाव जीते.
लेकिन जीतन राम मांझी परकरण में वह खुल कर मांझी के पक्ष में बयानबाजी करने लगे. उन्होंने नीतीश कुमार की आलोचना भी की और एक तरह से लालू प्रसाद को चुनौती देनी शुरू कर दी और खुद को लालू का विकल्प घोषित किया.
टीकाकारों का मानना है कि पप्पू यादव, बिहार के यादव मतदाताओं के सामने खुद को नेता साबित करना चाहते थे.
इसबीच राजद के नेता जयप्रकाश नारायण यादव ने पप्पू यादव को चैलेंज किया है कि वह चुनाव लड़के देख लें.