भास्कर के पत्रकार इंद्रभूषण की यह खबर पढ़िये जिसमें उन्होंने ब्रेक किया है कि परिवहनमंत्री रमई राम की बेटी को परिवहन प्राधिकार का सदस्य बनाया गया है. वह बसों -ट्रकों को परमिट देने की भूमिका निभाएंगी.
स्टेट ट्रांस्पोर्ट आथॉर्टी यानी (एसटीए) परिवहन विभाग का बहुत ही सश्कत अंग है.
सरकारी आदेश पर परिवहन मंत्री की बेटी गीता का मनोनयन कानून के खिलाफ नहीं, मगर प्रशासनिक लोकाचार नैतिकता का मोर्चा कई सवाल खड़ा करता है। रमई राम से पूछा गया तो बोले- यह कोई मसला भी है क्या? यह तो सामान्य बात है।
गीता की जिम्मेदारी
यहीं से बंटता है बस ट्रकों का स्टेट कैरेज परमिट
प्राधिकार करती है बसों की टाइमिंग और रूटों का निर्धारण भी
लंबे समय तक लालू प्रसाद की कोर टीम में रहे रमई राम इन दिनों जदयू में हैं और दोनों दलों के विलय के बड़े पैरोकारों में शामिल हैं। एसटीए की महत्ता का अंदाज इसीसे लगाया जा सकता है कि यह बस और ट्रकों की राज्यस्तरीय परमिट जारी करती है। बस अड्डों से खुलने वाले बसों की टाइमिंग निर्धारित करती है। कैरेज वाहनों के परिचालन को रेगुलेट करती है। यही तय करती है कि राज्य के किस रूट पर कब और कौन सी गाड़ी (कैरेज वाहन) चलेगी?
अधिसूचना
परिवहन विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि मोटर वाहन अधिनियम एक्ट के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करने के लिए राज्य परिवहन प्राधिकार के सदस्य के रूप में अगले आदेश तक गीता कुमारी की नियुक्ति की जाती है।
राजस्व पर्षद के सदस्य इस प्राधिकार के अध्यक्ष और राज्य परिवहन आयुक्त सदस्य सचिव हैं। गीता के पते के रूप में कृष्ण विहार कॉलोनी, बेऊर दर्ज है। उनके पति विजय कुमार हैं। प्राधिकार के दो और गैर सरकारी सदस्यों में मुजफ्फरपुर के प्रो. दिलीप कुमार सिंह और आरा के धरीक्षण सिंह शामिल हैं।
रमई की राम कहानी
रमईराम अपनी बेबाकी को ले चर्चा में रहते हैं। उनके रुठने की अहमियत रही है। लालू प्रसाद के मुख्यमंत्री रहते रमई ने अपने को शंकराचार्य बताया था। तीन और लोग इस पदवी से नवाजे गए थे। यह मंडल आंदोलन का दौर था। 8 बार एमएलए रहे रमई ने गीता कुमारी को टिकट दिलाने की पूरी कोशिश की। विफल रहे तो एमएलसी बनवा दिया।
मंत्रीजी पर अपने एक नौकर अनन्दु पासवान की समुचित देखभाल नहीं करने का मामला राज्य मानवाधिकार आयोग में चल रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में हाजीपुर सुरक्षित सीट से जदयू का टिकट कंफर्म मानते हुए रमई राम ने क्षेत्र में घूमना शुरू कर दिया था, पर गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में चले जाने के कारण चुनाव नहीं लड़ पाए। मुजफ्फरपुर में सरस्वती पूजा और शिवरात्रि पर उनके द्वारा निकलवाई जाने वाली झांकी चर्चित है। उनके पशु-पक्षी प्रेम से भी लोग अवगत हैं। उनका घोड़ा सोनपुर मेला के आयोजन में शामिल होता रहा है।
दूसरी तरफ परिवहन मंत्री मई राम कहते हैं ‘इसमें दिक्कत क्या है? गीता कुमारी किसी सरकारी नौकरी में नहीं हैं। एमएलसी रह चुकी हैं और पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष पद भी संभाल चुकी हैं’.