सांस्कृतिक संगठन आखर ने अपनी तरह का एक नया प्रयोग करते हुए पटना में भोजपुरी से जुड़े 12 नायकों के कृतित्व व व्यक्तित्व पर आधारित कैलेंडर पेश किया है जिसका लोकार्पण किया गया .
आज 15 जनवरी को बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ भवन में आखर की ओर से तैयार भोजपुरिया स्वाभिमान कैंलेंडर का लोकार्पण हुआ. आखर की ओर से तैयार इस सांस्कृतिक कैलेंडर में शामिल 12 व्यक्तित्वों के व्यक्तित्व, कृतित्व, नेतृत्व पर अलग-अलग वक्ताओं ने विस्तार से बात की. यह कैलेंडर वाल व टेबल कैंलेंडर के रूप में है, जिसमें कबीर, हीरा डोम, महेंदर मिसिर, भिखारी ठाकुर, मोती बीए, मोहम्मद खलील, बिस्मिल्ला खान, बाबू रघुवीर नारायण, डाॅ राजेंद्र प्रसाद, विश्वनाथ शाहाबादी, चित्रगुप्त, शारदा सिन्हा जैसे सांस्कृतिक नायकों को शामिल किया गया है.
आयोजन की शुरुआत पटना नौका हादसे के शिकार लोगों को श्रद्धांजलि के साथ हुई. दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी इसके बाद आयोजन शुरू हुआ. इस आयोजन में पहला वक्तव्य भोजपुरी के मूर्धन्य साहित्यकार पांडेय कपील ने रखा. पांडेय कपील भोजपुरी संस्थान के संस्थापक हैं और उन्होंने भोजपुरी में फुलसंुघी जैसी कालजयी रचना की है. पांडेय कपील ने कहा कि आखर का यह प्रयास अभूतपूर्व है.
ऐसे दौर में जब सांस्कृतिक और साहित्यिक दूतों की स्मृतियां मानस पटल से उतरती जा रही हैं, आखर ने नयी उम्मीद जगायी है. भोजपुरी की जड़ें बहुत गहरी हैं. आखर उन जड़ों की तह तक जाकर साहित्य की अमृतधारा को निकालने का काम कर रहा है. यह कैलेंडर उसी दिशा में एक कदम है. शिवानंद तिवारी ने कहा कि भोजपुरी साहित्य कोश साहित्य की सभी विधाओं को अपने अंदर समेटे हुए है.
जरूरत है उस कोष पर एक कंकड़ फेंकने की ताकि समग साहित्य छलक कर बाहर आये और लोगों के जेहन में समा जाये. वर्षों बाद आखर ने वह कंकड़ फेंका है. भाजपुरी अकादमी के अध्यक्ष डाॅ चंद्रभूषण राय ने कहा कि अकादमी और संस्थान साहित्य का पोषण और संवर्द्धन करने में नाकाफी साबित हो रहे हैं. आखर ने जनसमुदाय को उकसाया है. साहित्य का सृजन करने के लिए और साहित्य का पोषण करने के लिए भी. यह एक नयी परंपरा की शुरुआत है.
लोकार्पणकर्ता
– पांडेय कपीलःभोजपुरी के मुर्धन्य साहित्यकार, शिवानंद तिवारी, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदार पांडेय, भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष डा चंद्रभूषण राय,आरा से आये हुए साहित्यकार श्रीराम तिवारी
किसने किस पर बोला
– कबीर पर आलोक धन्वा
– हीरा डोम पर प्रेम कुमार मणी
– चि़त्रगुप्त पर कवि सत्यनारायण
– विश्वनाथ शाहाबादी पर विनोद अनुपम
-बिस्मिल्ला खान पर धु्रव गुप्त
– मोती बीए पर भगवती प्रसाद द्विवेदी
– भिखारी ठाकुर पर तैयब हुसैन पीड़ित
-महेंदर मिसिर पर जौहर शफियाबादी
-मोहम्मद खलील पर उदयनारायण सिंह
– डाॅ राजेंद्र प्रसाद पर संजय कुमार सिंह
– शारदा सिन्हा पर सुश्री चंदन तिवारी
-बाबू रघुवीर नारायण पर प्रताप नारायण
प्रमुख उपस्थित लोग
रिलायंस सिनर्जी की अर्चना, जगजीवन राम राजनीतिक शोध संस्थान के निदेशक श्रीकांत, साहित्यकार नरेन, भिखारी ठाकुर आश्रम के मंत्री रामदास राही, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के सांस्कृतिक मंत्री राजकुमार प्रेमी, अनिश अंकुर, संतोष सहर, महेंद सुमन, अरूण नारायण, सत्येंद्र कुमार, प्रो प्रकाश, प्रभात सरसिज, आशुतोष कुमार पांडेय, शेखर, जेपी, देवेंदर नाथ तिवारी, आनंद मोहन सिंह, दीपक कुमार, रेखा तिवारी, यशवंत मिश्रा,
कविताओं का गायन करनेवाले कलाकार
सुश्री चंदन तिवारी, शैलेंद्र मिश्र व दीपक कुमार