खिजरसराय में तीन सहोदर भाइयों की पांच बेटियों की दिल दहलाने वाली हत्या की साजिशें और भी दिल दहलाने वाली हो सकती हैं. पढिए यह रिपोर्ट
विनायक विजेता
गुरुवार की रात गया जिले के खिजरसराय थाना अंतर्गम्त सोनाफ गांव के दुल्ला बीघा टोले में पांच बहनों की सामूहिक हत्या मामले में अब यह निष्कर्ष निकलकर सामने आ रहा है कि ‘दाल में काला’ नही बल्कि पूरी दाल ही काली है। छानबीन में यह बात सामने आ रही है कि इस सामूहिक हत्याकांड में एक भयंकर साजिश है।
गौरतलब है कि इस सामूहिक हत्याकांड में एक ही परिवार की पांच बहनों की हत्या कर दी गई थी जो बहनें तीन सहोदर भाइयों की बेटियां थीं। इन बहनों में सात वर्ष की उम्र की अनीसा से लेकर 18 वर्ष की जूली तक का नाम शामिल ह, जिनकी लाशों पांच अलग-अलग कमरों में पाई गर्इं थीं। घर के बड़े भाई सह मालिक शशिाभूषण सिंह का आरोप है कि जमीन विवाद के कारण उनके अपने गोतिया से विवाद था और प्राण रक्षा के के लिए वे अपने भाइयों के साथ दूसरे के घर में सोने चले गए थे और जिनसे उनकी लड़ाई चल रही थी उन लोगों ने ही उनकी बेटियों और भतीजियों को घर में अकेला पाकर उनकी हत्या कर दी।
अब सवाल यह है कि अगर जान के भय से शशिभूषण सिंह अपने दो भाइयों के साथ दूसरे गांव या दूसरे के घर चले गए तो तीनों की पत्नियां और बेटे कहां थे। जब उन्हें दुश्मनों का डर था तो उन्होंने किन कारणों से पांच बेटियों को अकेले घर में छोड़ा। घटना के वक्त तीनों भाइयों के बेटे कहां थे?
जानकारी के अनुसार तीनों भाइयों के दो-दो बेटे और दो-दो बेटियां हैं। जिनमें एक भाई की एक बेटी का विवाह हो चुका है और घटना के वक्त वह अपने ससुराल मे थी जबकि पांच बेटियां अभी कंवारी थीं जिन सभी की हत्याएं हुई। सबसे अहम बात यह है कि पांचो बेटियों की लाश अलग-अलग कमरे में इस तरह पार्इं गई हैं जैसे लगता हो कि उनकी हत्या कर करीने से उनकी लाशों को सुलाने की मुद्रा पर बिस्तर पर लिटाया गया हो जो बाहरी हत्यारे नहीं कर सकते।
किसी भी लाश या बिस्तर पर प्रतिरोध या जबरर्दस्ती के ना तो कोई संकेत मिल रहे ना ही कोई निशान। आशंका है कि साजिशकर्ताओं ने ही इन पांचो बहनों के रात के खाने में कोई ऐसी नशली चीच मिला दी हो जिसे खाकर पांचो बहने बात करते करते ही नशो में से गई हों ओर बाद में मुर्छित हालत में ही बारी बारी से उनकी हत्या कर लाश को अलग-अलग कमरे में डाल दिया गया हो।
अगर यह सच है तो हत्यारों ने यहीं गलती की जो सच का पर्दाफाश कर देगा। पुलिस इन बहनों के बेसरा रिपोर्ट की अगर गहराई से जांच करे तो शायद सारे मामले का खुलासा हो सकता है। मारी गई बहनों के दादा पवित्र नारायण सिंह जो घर के बाहर दालान पर सोए थे को हत्यारों द्वारा छोड़ देना, उनके द्वारा घर के अंदर से कोई चीख-चिल्लाहट या गोलियां चलने की आवाज न सुनाई देना भी किसी गंभीर साजिश का संकेत दे रहा है जबकि वह उन कमरों से महज 25 फीट की दूरी पर ही सोए थे जिन कमरों में उनकी पोतियों की लाशें पाई गई।
विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि सेना से रिटायर्ड, मृतकों के दादा पी एन सिंह अपने गांव में काफी उंचे दर पर सूद पर रुपये लगाया करते थे। इसी क्रम में उन्होंने गांव के शंभू सिंह को कुछ माह पूर्व सूद पर कुछ रुपये दिए थे। रुपये वापस न होने के एवज में उन्होंन शंभु की एक किमती जमीन कौड़ी के भाव में अपने नाम करवा लिया। शंभू की पत्नी को जब इस मामले का पता चला तो उसने खिजरसराय के सीओ और एसडीओ से इसकी लिखित शिकायत कर दी कि उसके पति को शराब व गांजा पिलाकर पीएन सिंह और उनके बेटों ने उसकी किमती जमीन लिखवा ली है। सूत्र बताते हैं कि जब जांच हुई तो पाया गया कि पी एन सिंह ने शंभू की जिस जमीन को खेतिहर जमीन के नाम पर लिखवाया था वह आवासीय तथा किमती भूखंड है। इस मामले में शंभू के पत्रा में गांव के कई लोग सहित वो लोग भी खड़े हो गए जिनका नाम पांच बहनों की हत्या में दिया गया है।
इस मामले को लेकर पवित्र नारायण सिंह के बेटों का कुछ दिन पूर्व गांव के लोगों से विवाद भी हुआ था। बहरहाल पूरा मामला संदेहास्पद है। आशंका यह भी व्यक्त की जा रह है कि शशिभाूषण और उनके भाइयों ने कहीं एक तीर से कई शिकार करने की साजिश तो नहीं रची।