सशक्त विपक्ष का लोकतंत्र में विशेष महत्व होता है।  आलोचना करना विपक्ष का अधिकार होता है और स्वस्थ आलोचना होनी भी चाहिए।  विपक्ष अगर सजग होता है तो सत्ता पक्ष निरंतर सावधान की स्थिति में मिलता है।  लेकिन आलोचना में परिपक्वता, संतुलन और मापदंड होना आवश्यक है, नहीं तो यही आलोचना दोहरापन, दोगलापन और पूर्वाग्रह पीड़ित नज़र आएगा।  और ठीक यही बात बिहार के विपक्ष पर सही बैठती है।  परिपक्वता तो इनके विरोध में है नहीं, क्योंकि बच्चों की तरह स्टीकर-स्टीकर खेल रहे हैं। अच्छा हो कि एक ऐसा स्टीकर भी बनाएं जिसमें लिखा हो कि हमारे एक बलात्कार आरोपी भगौड़े नेता केंद्र में मंत्री हैं एवं हमारे सबसे बड़े संस्कारी नेता के घर से बेनामी डेढ़ करोड़ राशि की चोरी हुई थी।  हास्यास्पद यह है कि जनाब पचास हज़ार की चोरी बता रहे थे,  पर चोर ने खुद डेढ़ करोड़ की राशि बताई।  यानि कि चोर ही माननीय से ज्यादा ईमानदार निकला।nnn

उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव की ‘दिल की बात’

 

संतुलन और सकारात्मकता इनकी आलोचना में है ही नहीं, क्योंकि अपना हित साधने के लिए ये अपनी मातृभूमि को ही बदनाम करने में लगे हैं।  एक घटना पर इतना बवाल खड़ा करते हैं जैसे इनके शासित प्रदेशों में हुई हज़ारों हत्याओं के बराबर ये अकेली घटना हो।  सत्ता अगर हाथ लग रही हो तो मातृभूमि को गाली देना तो छोडिये,  ये मातृभूमि को बर्बाद भी कर देंगे।  भाजपा नेता बताये कि क्या देश के किसी दूसरे राज्य में किसी विपक्षी दल ने अपने ही राज्य को जंगलराज की संज्ञा दी है ?  आलोचना कीजिये पर झूठ की राजनीति मत कीजिए।  आपके गढ़े हुए जुमले आज आपके ही मज़ाक का कारण गए हैं। बिहार में रहकर बिहार को ही गाली देना भाजपाईयों की आदत और लाचारी बन गई है।

 

हार की टीस

बिहार की बहुसंख्यक न्यायप्रिय एवं विवेकशील जनता ने इनको चुनाव में इतने बुरे तरीके से हराया कि उस हार की टीस और पीड़ा को ये भूल ही नहीं पा रहे है। भाजपाई अच्छी तरह समझते है कि केंद्र सरकार की वादाखिलाफियों के कारण जनता इन्हें पूर्ण रूप से त्याग चुकी है तथा जिस निष्ठा और लग्न के साथ लोकप्रिय महागठबंधन सरकार जनकल्याणकारी कार्य कर रही है, उसके  परिणामस्वरूप  निकट भविष्य में बीजेपी को कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। अत: अब बड़े शातिराना तरीके से बिहार को बदनाम करने का बीड़ा उठाते हुए ये जनता द्वारा दी गयी करारी हार का बदला अब जनता से ही ले रहे है। आम जनता अच्छी तरह जान रही है कि जंगलराज का बेसुरा ढोल पीटने से किसी राजनैतिक पार्टी या नेता का नहीं अपितु हर बिहारी का ही नुकसान है। जनता जानती है आपकी संकीर्ण मानसिकता एवं नकारात्मक राजनीति बिहार को नुकसान पहुंचा रही है। बिहार के बारे में नेगेटिव परसेप्शन बना दो ताकि बिहार में आने वाला निवेश भाजपा शासित प्रदेशों में डॉयवर्ट हो सके।  बिहार के बारे में नकारात्मकता का प्रचार-प्रसार करके ये जनता और राजनीति ही नहीं, बल्कि यहाँ की प्रशासनिक व्यवस्था एवं काबिल अफसरों को भी नाकारा साबित करना चाहते है।

 

भाजपा शासित राज्‍यों का सच

अगर किसी राज्य की कानून व्यवस्था को आप लचर कहेंगे तो स्वाभाविक है कि उसकी तुलना दूसरे राज्यों की परिस्थिति से होगी। आंकड़े चीख-चीख कर भाजपाइयों के कान में भाजपा शासित राज्यों में रोज हो रहे हत्या, बलात्कार और लूटपाट इत्यादि की कहानी बयान कर रहे हैं।  पर सुनाया और दिखाया उनको जा सकता है जो सुनने और देखने के इच्छुक हों।  जो बहरा और अंधा होने का ढ़ोंग कर रहे हों, उनके साथ क्या किया जाए? अपने ही सरकार के आंकड़ों को नज़रंदाज़ कर गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाते रहते हैं क्योंकि पाखंड व हंगामा खड़ा करना ही इनका मक़सद है।  भाजपा शासित राज्यों में अपराध आसमान छू रहा है, पर वहाँ प्रभावित परिवारों के चीख पुकार भाजपा के नेताओं के असंवेदनशील कान के पर्दों पर कोई संवेदना पैदा नहीं करती है।  भाजपा शासित राज्यों में जो मारे जा रहे हैं,  वो भाजपा की नजरों में इंसान नहीं हैं।  कितना बड़ा व्यापम घोटाला जिसमें पैसों के दम पर झूठे डिग्रियों का खेल चला, खुद मुख्यमंत्री आरोपित हैं, वहाँ सरकार के संरक्षण में चुन-चुन कर गवाहों और आरोपियों को रास्ते से हटाया जा रहा है।  पर वहां जंगलराज नहीं है क्योंकि वहाँ भाजपा की सरकार है और मरने वाले इंसान नहीं,  हाड़ माँस के पुतले हैं।

 

सत्‍ता हासिल करने की बेचैनी

छत्तीसगढ़,  झारखण्ड,  राजस्थान और हरियाणा में हुए जघन्य अपराधों के आंकड़ों की गगनचुम्बी इमारतें बिहार को बौना बनाती हैं,  पर इनसे भी आगे अपराध में तख्तोताज़ पर कब्ज़ा जमाए है केंद्र सरकार की पुलिस वाली दिल्ली जिसे स्वयं माननीय दिल्ली हाई कोर्ट ने जंगलराज कहा है।  वैसे तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी मोदी जी को मॉडर्न नीरो कहा था,  पर उससे क्या? किसी भी तरह सत्ता हासिल करने में विश्वास करने वालों को तो बस जंगलराज ही दिखाई देता है और सुनाई देता है, वो भी वहाँ जहाँ वंचितों और उपेक्षितों के सहयोग से सामाजिक न्याय के साथ विकास का ध्येय लेकर आगे बढ़ने वाली सरकार बनी हो |

By Editor


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