‘जब नमो देश का भ्रमण कर रहे हैं,मेरे नीमो को टहलाने के लिए पार्क ले जाने की जरुरत है.अलग लोग,अलग प्राथमिकताएं’ राजदीप सरदेसाई के इस ट्विट के बाद ‘इंटरनेट हिंदू’ जिन्हें राजदीप सरदेसाई ‘भक्त’ कहते हैं ने सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा की बौछार कर दी.
मुकेश कुमार
इसके बाद धमकी भरे टेलीफोन आए ‘तुमने हमारे नेता को कुत्ते से जोड़ा है.तुम्हें और तुम्हारे परिवार को इसका खामियाजा भुगतना होगा.हम तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े कर देंगें.’
राजदीप सरदेसाई को जो लोग अभद्र भाषा का प्रयोग सोशल मीडिया पर कर रहे थे उन लोगों की प्रोफाइल ‘प्राउड हिन्दू नेशनलिस्ट’ और ‘वांट नमो फॉर पीएम’ जैसे नामों से जुडी हुई थी.
‘हिन्दू डिफेंस लीग ट्विटर पर इस तरह का मधुमखियों के झुंड जैसा था जो उनकी राजनीतिक आस्था पर सवाल उठाने वाले किसी भी व्यक्ति पर एक साथ धावा बोल देता था. सोशल मीडिया पर यह कोई अपवाद नहीं था,बल्कि अब एक सुनियोजित प्रयास का एक हिस्सा बन चुका है.
नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ में ‘सेल्फी विद डॉटर’ मुहिम के लिए आग्रह किया था कि सभी #सेल्फीविथडॉटर के साथ तस्वीरें पोस्ट करें. इस पर सीपीआई (एमएल) के कविता कृष्णन ने ट्विट किया “सेल्फी विथ डॉटर को ‘लेमडकपीएम’ के साथ शेयर करते वक्त सावधान रहियेगा.उन्हें बेटियों की पीछे पड़ने की आदत है.” इसके बाद मोदी समर्थकों ने कविता को गलियाँ दी और अभद्र भाषा का प्रयोग किया.
असहमति उनकी नजर में देशद्रोही
सिनेकर्मी आलोक नाथ ने ‘जेल द बिच’ कहा तो विनय चौहान (@Vinaych73119133) ने कहा ‘तू शकल से ही prostitute लगती है. कभी नहा तो लिया कर. Dp पर तेरी शकल देखने का भी मन नहीं करता.’ तो ऑफिस ऑफ़ एक्स-सेकुलर के नाम से (@tanuj15) ने लिखा ‘कविता कृष्णन तू बेटी और बहनों में थोड़े आती है. कविता यू आर थर्ड जेंडर.गो टू US. बिल्कुल सही लिखा है इसने @vinaych73119133.’ कविता कृष्णन ने सोशल मीडिया पर इस तरह की बढती प्रवृति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि‘यह एक तरह का संगठित प्रवृति बन गई है.जिस तरह यह लोग सडकों पर राजनीतिक हत्यायें करवाते हैं उसी तरह यह लोग विचारों को रोकने के लिए झुंड में पहुंच जाते हैं ताकि उनकी आवाज को दबाया जा सके.जिस तरह यह गोविन्द पानसरे,कलबुर्गी की हत्या करके विचारों को रोकने का काम करते हैं उसी तरह यह संगठन के तौर पर सोशल मीडिया पर विचारों को दबाने के लिए या कमजोर करने के लिए धावा बोल देते हैं.
असहमति को देशद्रोह से जोड़कर देखने की प्रवृति बढ़ी है,यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है.’ सोशल मीडिया के इस दौर में सत्ता से असहमति-आलोचना का सीधा संबंध देशद्रोह और राजसत्ता से बग़ावत की तरह देखने की खतरनाक प्रवृति बनती दिख रही है.इसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हाशिये पर चली जा रही है.
श्रुति सेठ ने मोदी के ‘सेल्फी विथ डॉटर’ को लेकर लिखा कि “सेल्फी कोई ऐसी डिवाइस नहीं है जिससे बदलाव आएगा मिस्टर पीएम सुधार की कोशिश करें.सेल्फी के जुनून से बाहर आएं मिस्टर पीएम. एक फोटोग्राफ से ज्यादा बनें.वे लोग जो सेल्फी प्लान का बचाव कर रहें हैं उनको यह बताना चाहूंगी कि जंहा पर फ्रंट फोन कैमरा मौजूद नहीं है ऐसे अशिक्षित जगहों पर बदलाव की जरुरत है.सोचिए” पर भक्तों को मानों इस “सोचिए” के प्रश्नचिन्ह ने उनके अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया.
सायबर गुंडे
सायबर गुंडों ने सारी मर्यादा लांघ कर श्रुति सेठ पर ऑनलाइन हमले किए.सायबर गुंडों से आहत होकर लिखा “जिस तरह से लोगों ने मुझ पर सोशल नेटवर्किंग साईट पर हमले किए,वो अफसोसजनक था. कम से कम ये ध्यान रखना चाहिए था कि मैं किसी की माँ हूं,किसी की बेटी हूं,किसी की पत्नी हूं,लोगों ने सारी मर्यादाएं लांघ दी” यह भारत जैसे देश में यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजसत्ता की आलोचना करना इतना महंगा पड़ जाता है किसी को लिखना पड़ जाता है कि “अलग सोच रखने के लिए जो नफरत आज मैंने झेली,वह साफ दिखाती है कि यह देश महिलायों के लिए है ही नहीं.” कविता कृष्णन और श्रुति सेठ के प्रति जो मानसिकता सोशल मीडिया पर उजागर हुआ इससे यह सच सामने आ गया कि हम अपने समाज में अपनी बेटियों का कितना सम्मान करते हैं. इसी तरह का ऑनलाइन गुंडाराज का मामला तब सामने आया जब अभिनेत्री नेहा धूपिया ने महाराष्ट्र सरकार को लेकर ट्विट किया “एक बारिश होती है और शहर थम जाता है,अच्छी सरकार सिर्फ सेल्फी लेने या हमें योग कराने के लिए नहीं है,सरकार को यह देखना चाहिए की नागरिक कितने सुरक्षित हैं.” जब मोदी ने दुबई में भारतीयों को संबोधित किया था और उनके समर्थकों ने उनके लिए रॉकस्टार कहा तो शोभा डे ने ट्विट किया “क्या हम भारत के प्रधानमंत्री को रॉकस्टार कहना बंद कर सकते हैं.
हैलो दुबई,वो बॉलीवुड से नहीं हैं.” कई समर्थकों ने बड़ी अभद्र भाषा में शोभा डे को जवाब दिए. शोभा ने इनको जवाब देते हुए लिखा “ साल की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर होगी फिल्म – मैं चुप रहूँगा.जिसमें मोदी हीरो होंगे.” तो क्या मोदीराज में सिर्फ और सिर्फ मोदीराग ही चलेगा?क्या असहमति और आलोचना की कीमत अभद्र भाषा और गाली गलौज होगा?क्या मोदीविरोध का मतलब देशद्रोह होगा?यदि आप भाजपा और उनके रक्तनाभि ‘राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ’ के सवर्णवादी पुरुषसत्तात्मक संघटन के पाखंडों को उजागर करने का प्रयास करेंगें तो आप के विचारों को “वल्गर” बता कर आपको सोशल मीडिया पर लिखने से रोकने की भी साजिश की जा सकती है.दिलीप मंडल के उदाहरण से इसको समझा जा सकता है. इनके पोस्ट को वल्गर बताकर इनके विचारों को रोकने की जो कोशिश की गई है वह इसी साजिश का हिस्सा है.क्या मोदी की जुकेरवर्ग से मुलाकात ऑनलाइन गुंडाराज को संस्थागत स्वरूप देने की कोई कोशिश तो नहीं है?
लेखक पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में सीनियर रिसर्च फेलो हैं