ग्रामीण विकास विभाग का प्रेस कॉन्फ्रेंस सूचना भवन स्थित संवाद कक्ष में आयोजित था। लेकिन पीसी में विभागीय मंत्री श्रवण कुमार मौजूद नहीं थे। मीडिया को विभागीय सचिव अरविंद कुमार चौधरी संबोधित कर रहे थे। विभागीय योजनाओं की जानकारी दे रहे थे। पीसी में मंत्री की अनुपस्थिति के संबंध में सचिव श्री चौधरी ने बताया कि मंत्री राजगीर में हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बिहार सरकार के सभी प्रमुख अधिकारी समेत कई मंत्री राजगीर में कैंप कर रहे हैं। वहीं विभागीय समीक्षा हो रही है। संभवत: ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार भी उसी टीम में शामिल हैं।
वीरेंद्र यादव
मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक और जगह का चयन उनका विशेषाधिकार है। लेकिन विभागीय मंत्री के बिना प्रेस कॉन्फ्रेंस का क्या औचित्य है। क्या बिहार सरकार को प्रधान सचिव या सचिव चला रहे हैं या मंत्री। विभागीय प्रमुख की जवाबदेही मंत्री की है या सचिव की। लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी विभाग का प्रमुख और जवाबदेह मंत्री को बनाया गया है तो क्या मंत्री को पद के अनुसार सम्मान नहीं मिलना चाहिए।
मंत्रियों को मिले सम्मान
सीएम नीतीश कुमार पर नौकरशाहों से सरकार चलाने का आरोप लगता रहा है। मंत्रियों को नेपथ्य में रखकर सचिव ही मीडिया को ब्रिफ करेंगे तो सीएम पर लग रहे आरोप पुख्ता ही साबित होंगे। ऐसे कई मौके आए हैं, जब मंत्री के बजाय सचिव या प्रधान सचिव ही मीडिया को संबोधित करते हैं। कई बार मंत्रियों की उपस्थिति में सचिव ही मीडिया को ब्रिफ करते हैं। लेकिन वहां एक मर्यादा होती है, मंत्री की गरिमा होती है। लेकिन जिस तरह से सचिव ही प्रेस रिलीज लेकर बांटने और ब्रिफ करने आते हैं, यह उचित नहीं लगता है। लोकतंत्र में लोकतांत्रिक संस्थाओं और पदों का सम्मान हो, यह जरूरी है। सीएम नीतीश कुमार और मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह को भी मंत्रियों की मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए।