कथित तौर पर पिछड़ी जाति के खिलाफ लिखे एक लेख के विरुद्ध राजद विधायक को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करना महंगा पड़ा है. अदालत ने उन्हें इस ममले में दस लाख रुपये का जुमार्ना ठोक दिया है.पढ़ें क्या है मामला.
इतना ही नहीं इस मामले में चीफ जस्टिस ने उनको फटकार भी लगायी. मुख्य न्यायाधीश खेहर ने इस याचिका को तुच्छ बताते हुए कहा कि आप जनता के प्रतिनिधि हैं इसका मतलब यह नहीं कि आप सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों का दुरुपयोग करेंगे.
जहानाबाद जिले के अरवल के विधायक रविंद्र सिंह ने 1994 में एक मैगजीन में छपे लेख पर जांच की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी. याचिका में कहा गया कि यह लेख पिछडी जातियों के खिलाफ है और इसकी जांच होनी चाहिए. यह लेख 1994 में छपा था.
अदालत ने कहा कि यह लेख 1994 का है और आप अब आ रहे हैं. याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि उन्होंने 2013 में यह पढ़ा और इसके बाद पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. पिछले दिसंबर में ही हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की थी.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें यह समझ नहीं आ रहा कि यह याचिका क्यों दाखिल की गई है इसलिए याचिकाकर्ता पर दस लाख का जुर्माना लगाया जाता है.
अदालत ने यह भी कहा कि आप जनप्रतिनिधि हैं इसलिए आपके ऊपर दस लाख रुपये का जुर्माना ज्यादा नहीं है.