सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए एक नए राष्ट्रीय आयोग के गठन के के लिए सरकार ने लोकसभा में दो विधेयक पेश किए। इनके कानून का रूप लेने के साथ ही मौजूदा पिछड़ा वर्ग आयोग का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने ये दो विधेयक ‘संविधान ( 123 वां संशोधन ) विधेयक 2017’और ‘राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (निरसन) विधेयक 2017 ’ पेश किए। पहले विधेयक में नए आयोग के गठन का जबकि दूसरे विधेयक में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग कानून 1993 को निरस्त करने की व्यवस्था की गई है। संविधान संशोधन विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि पिछड़े वर्गों के हितों की प्रभावी रूप से सुरक्षा करने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तथा राष्ट्रीय जनजाति आयोग की तर्ज पर ही एक ऐसे आयोग के गठन का प्रस्ताव है, जिसे संवैधानिक दर्जा प्राप्त होगा। इससे सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के हितों की रक्षा ज्यादा प्रभावी तरीके से की जा सकेगी।
पिछड़ा वर्ग आयोग (निरसन) विधेयक के उद्देश्यो और कारणों में कहा गया है कि संविधान में संशोधन कर राष्ट्रीय सामाजिक एवं शैक्षिक पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन का प्रस्ताव है, जिसकी वजह से मौजूदा राष्ट्रीय पिछड़ वर्ग आयोग को बनाए रखने की जरुरत नहीं होगी ।