राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीशों के संयुक्त सम्मेलन का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी व चीफ जस्टिस एनवी रमना भी शामिल हुए.
इस संयुक्त बैठक में अपनी बात रखते हुए चीफ जस्टिस ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को न्यायपालिका व व्यवस्थापिका की लक्ष्मण रेखा खीच दी. उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर हमने लरक्ष्मण रेखा का ध्यायन रखा तो न्यायपालिका कभी शासन के रास्ते में नहीं आयेगी.
सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि यदि नगरपालिकाएं, ग्राम पंचायतें अपने कर्तव्यों का पालन करती हैं, यदि पुलिस ठीक से जांच करती है और गैरकानूनी कस्टोरियल यातना खत्म होती है, तो लोगों को अदालतों की ओर देखने की जरूरत नहीं होगी।
सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि अदालत के फैसलों पर सरकार द्वारा वर्षों तक अमल नहीं किया जाता है। न्यायिक घोषणाओं के बावजूद जानबूझकर निष्क्रियता है जो देश के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा, “हालांकि, नीति निर्धारण हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है, लेकिन अगर कोई नागरिक अपनी शिकायत लेकर हमारे पास आता है तो अदालत मना नहीं कर सकती है।”
सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि अदालत के फैसलों पर सरकार द्वारा वर्षों तक अमल नहीं किया जाता है। न्यायिक घोषणाओं के बावजूद जानबूझकर निष्क्रियता है जो देश के लिए अच्छा नहीं है।
सीजेआई ने जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अब यह ‘निजी हित याचिका’ बन गई है और निजी मामलों को निपटाने के लिये इसका इस्तेमाल किया जाता है