केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘अच्छे दिन’ के सपने को साकार करने में चार साल गुजार दिये। इन सालों की उपलब्धियों पर केंद्र सरकार ने विशेष प्रचार अभियान चलाया है। सरकार से लेकर पार्टी तक को उपलब्धियों के प्रचार में झोंक दिया। केंद्र सरकार में शामिल पार्टियों के नेता भी नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों का ‘होटल-होटल’ प्रचार कर रहे हैं। पार्टी के कार्यकर्ता गांव-गांव में प्रचार कार्य में जुटे हुए हैं। एनडीए सरकार में शामिल लोजपा और रालोसपा भी केंद्र सरकार की उपलब्धियों का बखान कर रहे हैं। लेकिन खुद को एनडीए का घटक मान रहा नीतीश कुमार का जदयू केंद्र सरकार की उपलब्धियों के प्रचार से खुद को दूर रख रहा है।
एनडीए सरकार की उपलब्धियों के प्रचार से दूर है जदयू
करीब 10 महीने पहले पूरी तामझाम के साथ जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने पार्टी के एनडीए में शामिल होने की मंजूरी थी। बताया जाता है कि एक मुलाकात के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने नीतीश कुमार को एनडीए में शामिल होने के लिए न्योता दिया था। इसी आलोक में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने एनडीए में शामिल होने की सहमति जतायी थी। एक दौर ऐसा भी आया, जब कहा गया कि नरेंद्र मोदी सरकार में जदयू के मंत्री शामिल होंगे। मंत्रियों के नाम भी तय किये जाने लगे थे। लेकिन जदयू को सरकार में शामिल होने का न्योता नहीं मिला।
जब एनडीए में शामिल सभी दल नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को गांव-गांव पहुंचा रहे हैं, तब नीतीश कुमार वित्त आयोग को पत्र लिखकर बिहार को विशेष सहायता देने का आग्रह कर रहे हैं। नीतीश पीएम नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों के दावों पर ही ग्रहण लगा रहे हैं। विकास के दावों को नकार रहे हैं और अपनी ‘विपन्नता’ का साक्ष्य प्रस्तुत कर रहे हैं। विशेष राज्य के दर्जे का औचित्य भी समझा रहे हैं।
दरअसल नीतीश कुमार एनडीए में अपनी भूमिका को लेकर संशय में हैं। केंद्र की भाजपा सरकार में जदयू को जगह नहीं मिली और बिहार में भाजपा ‘सत्ता की मलाई’ काट रही है। इससे नीतीश असहज महसूस कर रहे हैं। यह भी स्वभाविक है कि चुनाव वर्ष में केंद्र की उपलब्धियों पर नरेंद्र मोदी वोट मांगेंगे। प्रचार अभियान के केंद्र में नरेंद्र मोदी और अमित शाह होंगे। उसमें नीतीश कुमार के लिए कोई जगह नहीं होगी। राज्य सरकार की उपलब्धियां हाशिए पर धकेल दी जाएंगी। बिहार सरकार के भाजपाई मंत्री ‘नरेंद्र राग’ गा रहे हैं। भाजपा में पार्टी और संगठन के स्तर पर राज्य सरकार की चर्चा भी नहीं होती है। राज्य सरकार की उपलब्धियों से मतलब सिर्फ विभागीय मंत्री को होता है। वह भी सिर्फ सरकारी कार्यक्रमों तक। पार्टी के स्तर पर आयोजित किसी कार्यक्रम में नीतीश सरकार को लेकर कोई चर्चा नहीं होती है। ऐसे माहौल ने नीतीश की परेशानी बढ़ा दी है।
राज्य सरकार में शामिल भाजपा के मंत्री ही नीतीश की उपलब्धियों की बात नहीं कर रहे हैं तो भाजपा के संगठन और नेतृत्व पर जदयू कितना भरोसा करेगा। इस संबंध में भाजपा के एक नेता ने कहा कि जदयू केंद्र में एनडीए सरकार को समर्थन कर रहा है, सरकार में शामिल नहीं है। इसलिए प्रचार से जदयू दूर है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार में शामिल भाजपा के मंत्री केंद्र सरकार की उपलब्धियों के प्रचार कार्य में जुटे हैं। सूचना और जनसंपर्क विभाग राज्य सरकार की उपलब्धियों का प्रचार करेगा।