प्रखर पत्रकार रविश कुमार ने पटना यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह वाहियात पटना यूनिवर्सिटी का शताब्दी जश्न बताया. उन्होंने प्रधानमंत्री के यूनिवर्सिटी आगमन के बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा कि जिस यूनिवर्सिटी ने हम जैसे लाखों नौजवानों को अगले तीस चालीस पचास साल के लिए दरबदर कर दिया, उस वाहियात पटना यूनिवर्सिटी का शताब्दी जश्न है. फालतू के कार्यक्रम पर पैसा फूंका गया है.
नौकरशाही डेस्क
रविश ने आगे लिखा कि इस जश्न में अनावश्यक प्रवचन होगा. नैतिक शिक्षा होगी कि युवाओं का देश है. युवाओं को आगे ले जाना है. युवा शक्ति ही राष्ट्र शक्ति है. यूनिवर्सिटी ज्ञान का केंद्र है. ठीक से सोचेंगे तो मेरी बात समझ आएगी. कोई नोटिस नहीं कर रहा है. नोटिस करने के लिए ही प्रधानमंत्री को बुलाया गया है. पचास लाख शामियाना कुर्सी पर ही उड़ गया होगा. उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी की घडी का जिक्र करते हुए लिखा कि यूनिवर्सिटी ने इस मौके पर जो दीवार घड़ी बनाई है, वो किसी भी नज़र से देखने में ख़राब है. उसका सौंदर्य बोध बता रहा है कि अगले पचास साल में भी यह यूनिवर्सिटी नहीं सुधरेगी. लगता है किसी स्टोर से पुरस्कारों में दिए जाने वाले सस्ती ट्रॉफ़ी की नक़ल मार ली गई है. ठेकेदारों ने दिमाग़ लगाया होगा.
इससे पहले रविश कुमार ने सोशल मीडिया पूर्ववर्ती छात्र को नहीं बुलाने के मुद्दे को उठाया था और लिखा था कि पटना यूनिवर्सिटी सौ साल में इतना छोटा हो गया कि अपने पूर्व छात्रों को बुलाने का साहस ही नहीं जुटा सका. शत्रुध्न सिन्हा और यशवंत सिन्हा को सौ साला जश्न में नहीं बुलाया गया है.जबकि ये दोनों अभी तक बीजेपी में ही हैं. यशवंत सिन्हा ने आवाज़ उठाकर बीजेपी का समय रहते भला ही किया है. तभी तो सरकार हरकत में आई है. जिस वीसी को वहां के छात्र भी नहीं जानते होंगे, उन्हें यह बात कैसे समझ आ गई कि इन्हें नहीं बुलाना चाहिए. शर्मनाक हरकत है. हमारी राजनीति ओछी होती जा रही है.
उन्होंने लिखा था कि सीना फुलाने से अच्छा है अपना दामन बड़ा कीजिए. बाहों को फैला कर सबका स्वागत कीजिए. टिकट बांटने में धांधली का आरोप तो बिहार चुनाव के समय आर के सिंह ने भी लगाया था, वो अब मंत्री हैं. भगवा आतंक का इशारा करने वाले आर के सिंह ही थे. शत्रुध्न सिन्हा बीजेपी के पहले स्टार प्रचारक हैं. जब लोग बीजेपी से दूर भागते थे, तब शत्रुध्न सिन्हा बीजेपी के लिए प्रचार करते थे. पुरानी बात नहीं भूलनी चाहिए.
उन्होंने कहा था कि पटना यूनिवर्सिटी की हालत दयनीय हो चुकी है. क्लास में पढ़ाने के लिए टीचर नहीं है. दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि यह देश के घटिया यूनिवर्सिटी में टॉप टेन में आती होगी. इसने अपने छात्रों को न बुलाकर घटिया ही काम किया है. पटना शहर को यह बात नोटिस करनी चाहिए और ख़ासकर बीजेपी के कार्यकर्ताओं को। क्या यही उनके परिवार का संस्कार है ? जब शत्रुध्न सिन्हा जैसे साधन संपन्न के साथ ऐसा हो सकता है तब सोचिए आपके साथ क्या क्या होगा ? शत्रुध्न सिन्हा पटना यूनिवर्सिटी और मुंबई में बिहार के ब्रांड अंबेसडर रहे हैं. नीतीश कुमार की भी खुलकर तारीफ करते रहे हैं. मुख्यमंत्री को भी छोटे दिल की राजनीति नहीं करनी चाहिए. भारत की राजनीति की यह शर्मनाक हरकत है.