सहकारिता मंत्री आलोक मेहता अपनी नयी छवि गढ़ने में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी उन पर भरोसा बढ़ने लगा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच जुबानी जंग काफी दिनों से चली आ रही थी। राज्य सरकार इसमें केंद्रांश बढ़ाने की मांग कर रही थी। इस विवाद में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच पत्राचार भी हुआ। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर किसानों के मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया था। सीएम ने इस योजना का नाम प्रधानमंत्री- मुख्यमंत्री फसल बीमा योजना करने की मांग की थी, जिसे राधामोहन सिंह ने अस्वीकार कर दिया था।
वीरेंद्र यादव
आलोक मेहता पर नीतीश का बढ़ा भरोसा
केंद्र और राज्य सरकार के बीच उत्पन्न विवाद ने सहकारिता मंत्री आलोक मेहता को नया मौका उपलब्ध करा दिया। सीएम नीतीश कुमार ने कृषि विभाग के मामले को निबटाने का जिम्मा सहकारिता मंत्री को सौंपा और इसकी घोषणा करने का जिम्मा उन्हें ही दिया। श्री मेहता ने बुधवार को आयोजित प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को राज्य में लागू करने की घोषणा की और कहा कि इस योजना में केंद्रांश बढ़ाने की मांग पर राज्य सरकार कायम है।
पीसी में तैनात थे दो प्रधान सचिव
प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले सीएम नीतीश कुमार सहकारिता मंत्री आलोक मेहता का इंटरव्यू कर चुके थे। सीएम सरकार के पक्ष और इससे जुड़े सवालों की संभावना का उत्तर भी समझा चुके थे। आलोक मेहता का पीसी पहले डेढ़ बजे आयोजित था। इसी बीच सीएम के बुलावे के कारण उन्हें सात सर्कुलर रोड जाना पड़ा। इस कारण पीसी का समय तीन बजे से कर दिया गया। इसे डेढ़ घंटे में आलोक मेहता को पर्याप्त संदर्भ और फीडबैक भी दिए गए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का मामला केंद्र और राज्य के बीच विवाद का बड़ा मुद्दा बन गया था। यही वजह थी कि नीतीश कुमार इस मामले में किसी चूक को तैयार नहीं थे। आलोक मेहता के साथ सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव अमृतलाल मीणा और आईपीआरडी के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा को पीसी में बैठाया गया था, ताकि बात बिगड़ने पर संभाल सकें। हालांकि आलोक मेहता ने अपनी तैयारी और जानकारी के आधार पर सरकार का पूरा पक्ष रखा और केंद्र सरकार हमलावार बने रहे। साथ ही, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पक्ष को भी मजबूत बनाने में सफल रहे।