राजधानी पटना की सड़कों पर तेज रफ्तार लहरिया काटते बाइकर्स लगातार परेशानी का सबब बने हुये हैं। अपनी जान से खिलवाड़ करते ये बाइकर्स लड़कियों को छेड़ते हैं पर पुलिस कुछ भी करने का जोखिम नहीं लेती

सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो

अनिता गौतम

 

दूसरों के लिये भी मुसीबत बने हुये हैं।दुर्घटनाओं के लिये जिम्मेवार ये बाईकर्स आम आवाम के साथ पुलिस प्रशासन को भी खुलेआम चुनौती देने से बाज नहीं आते हैं।

आज बड़ी संख्या में स्कूल, कॉलेज और ऑफिस जाने के लिये औरतें, लड़कियां स्कूटी का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही हैं। इस सवारी के उपयोग से लड़कियों में एक ओर जहां आत्मविश्वास बढ़ा है वहीं दूसरी ओर उनके बहुमूल्य समय का भी बचत हो रहा है।परंतु दुर्भाग्य वश वहीं महिलायें पटना पुलिस की नाक के नीचे इन लफ्फाजी करते बाइकर्स की चपेट में आकर आये दिन बीच सड़क पर दुर्घटना का शिकार हो रही हैं।

निशाने पर लड़कियां

इन स्कूटी चालक महिलाओं की बातों पर ही यकीन करें तो इनका साफ तौर पर कहना होता है कि सड़कों पर बेतरतीब और लहरिया काटते बाइकर्स को देख कर लोग सहम  जाते हैं, क्योंकि इस तरह के बाइकर्स इतनी तेजी से हमारे करीब आकर अपनी बाइक सटा कर पुन: दूर हो जाते हैं कि लोगों को  संभलने का मौका ही नहीं मिलता है। ज्यादातर ऐसी घटनाओं की शिकार महिलाओं या लड़कियों को बनाया जाता है।

 

अपना संतुलन खोकर हम बीच सड़क पर या तो गिर जाते हैं या फिर जब तक संभलने की कोशिश करते हैं, शरारती तत्व काफी दूर निकल जाता है।पुलिस प्रशासन इन बाइकर्स की करतूतों से पूर्णतया वाकिफ होते हैं, पर अपनी मजबूरी कुछ इस तरह बयान करते हैं, कि जब तक इनके खिलाफ कोई एफ. आइ. आर या शिकायत दर्ज नहीं करवाई जाती, हम सीधा कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं।

 

दूसरी तरफ इनका रोना यह भी होता है कि ऐसे मामलों में ज्यादातर बड़े घर के बिगड़ैल नाबालिग बच्चें होते हैं। अत: कहीं इनके ऊपर की गई कार्रवाई हम पर ही उलटी न पड़ जाये।पटना की सड़कें जहां पहले से ही काफी संकरी और कूड़ों से पटी हुयी हैं, वहीं दूसरी तरफ रोजमर्रा की बिक्री के लिये लगाये गये ठेले, खोमचे और सडकों की चलंत दुकान से पूर्णतया अतिक्रमित रहती हैं। साथ ही पटना की सबसे बड़ी त्रासदी बढ़ती गाड़ियों की संख्या और उनके लिये पार्किंग की कोई उचित व्यवस्था का नहीं होना है।

पुलिस की निष्क्रियता

यदि पुलिस की ही मानें तो राजधानी की सड़कों पर स्टंट करते इस तरह के बाइकर्स पर हमारी लगातार नजर रहती है और हमारा प्रयास होता है कि इनके वाहनों की चेकिंग पुरजोर तरीके से हो। पर ऑफिस और स्कूल कॉलेज के टाइम में इन सबको एक एक कर रोकने का मतलब है बीच सड़क पर ट्रैफिक जाम को और अधिक बढ़ाना। ये बाइकर्स ज्यादतर कम उम्र के नौजवान होते हैं, तो स्वाभाविक रूप से फिल्म, सीरियल और स्टंट के दृश्य उन्हें सहजता से आकर्षित करते हैं। स्मार्ट और दिलेरी दिखाने का जरिया होता है स्टंट । अपनी बाइक के साथ ये किसी स्कूल कॉलेज या कोचिंग इस्टीट्यूट के पास अक्सर खड़े दिख जायेंगे। स्टंट और भद्दे-भद्दे फिकरे कसते हुये छोटी छोटी बच्चियों के स्कूल ऑटो और रिक्शा का भी पीछा करना इनका शौक होता है।

पिछले दिनों पटना के फुलवारी शरीफ इलाके में इसी तरह के स्टंटबाजों ने एक लड़की के साथ बदसुलूकी की. कई बार मना करने के बावजूद जब लड़की के पिता ने मामले की शिकायत संबंधित थाने में की तो थानेदार ने केस लेने से भी इनकार कर दिया. कार्रवाई का कोई आश्वसन मिलने के बजाये शिकायतकर्ता को थाने से वापस तो किया ही गया उलटे स्टंटबाजों को जब यह भनक लगी तो उन लगों ने लड़की के पिता को ही धमकियां दी. इसका नतीजा यह हुआ कि शिकायतकर्ता डरा सहमा वापस आ गया. उसे अपनी बेटी की फिक्र है. उधर बेटी स्कूल जाने से भी कतराने लगी है.

खबर तो यहां तक है कि ये स्टंटबाज छोटी बड़ी जरूरतों को पूरा करने के नाम परराहजनी और औरतों के गले से चेन छिनने की घटना को भी अंजाम देने से गुरेज नहीं करते है। इनकी करतूतों से परेशान, डरी सहमी लड़किया भय से न तो घर में और न स्कूल प्रशासन में इनकी शिकायत कर पाती हैं।सरेआम कानून की धज्जियां उड़ाने वाले ये बाइकर्स यूं तो घर से स्कूल कॉलेज या फिर कोचिंग के नाम पर निकलते हैं। पर माता पिता की आंखों में धूल झोकना इनकी बहादुरी में शामिल होता है।

 

 

By Editor


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