बिहार के अमवा कटहरवा पुलिस फायरिंग में छह ग्रामीणों की मौत मामले में पुलिस और ग्रामीण एक दूसरे को दोषी बता रहे हैं. घटना के 20 घंटे बीत चुके हैं शासन का रवैया संदिग्ध है.
पर पुलिस स्वीकार कर रही है कि उसने गोली चलायी, पर आत्म रक्षा में. जबकि ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस झूठ बोल रही है और उसने मानवाधिकार का उल्लंघन करते हुए भारी जुल्म किया है.
पश्चिमी चम्पारण जिले के नौरंगिया थाना के अमवा कटहरवा गांव में में सोमवार दोपहर पुलिस फायरिंग में छह ग्रामीणों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. कई घायल हैं, इनमें से दो की हालत गंभीर है. इस घटना में बगहा डीएसपी शैलेश कुमार सिन्हा, इंस्पेक्टर दयानाथ झा सहित चार थानों के थानाध्यक्ष और दो दर्जन पुलिस जवान घायल हुए हैं.
क्या था मामला
जानकारी के अनुसार, दरदरी गांव निवासी रामायण काजी का पुत्र चंद्रेश्वर काजी की हत्या कर दी गयी थी. और उसकी लाश गायब कर दी गयी थी.इसके बाद रामायण काजी ने हत्या की रपट लिखायी थी. फिर पुलिस ने कुछ लोगों को अरेस्ट किया. जिसका विरोध कुछ ग्रामीणों ने किया. यहां तक तो मामला शांत रहा लेकिन अचानक कुछ ग्रामीणों ने जब पुलिस को लाश मिलने की सूचना दी तो स्थिति बिगड़ती चली गयी.
ग्रामीणों का आरोप था कि बेकसूर लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है. खबरों में बताया गया है कि जब पुलिस लाश को अपने कब्जे में लेने पहुंची तो वहां मौजूद भीड़ ने उसका विरोध किया. मामला काफी गंभीर हो गया और पुलिस व ग्रामीणों में संघर्ष की नौबत आ गयी. पुलिस का कहना है कि इस दौरान डीएसपी सैलेश कुमार सिन्हा को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया. हालांकि ग्रामीण इस बात को झूठ करार दे रहे हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस इस मामले में कार्रवाई करने के पक्ष में नहीं थी जबकि दोषी को गिरफ्तार भी नहीं किया गया था.
इधर पटना में एडीजी विधि व्यवस्था एसके भारद्वाज का कहना है कि पुलिस ने उन दो लोगों को गिरफ्तार था जो हत्या किये गये युवक के साथ आखिरी बार देखे गये थे. इस मामले में अफवाह फैलायी गयी. पुलिस को ग्रामीणों ने लाश मिलने की खबर देकर बुलाया पर वहां लाश नहीं थी और करीब आठ सौ महिला-पुरुषों ने पुलिस को धोखे में बंधक बना लिया. एक पुलिस टीम मामले की तहकीकात के लिए बगहा गयी है.
इस घटना के बाद राजद और अन्य विपक्षी पार्टियों ने पुलिस की निरंकुशता का आरोप लगाते हुए बंद का आह्वान किया है. जबकि इस मामले की जांच की मांग करते हुए राजद और वामपंथी दलों ने पुलिस को दोषी बताते हुए कहा है कि उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाया जाये.