पूर्वी उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ चला सोलहवीं लोकसभा का चुनाव नरेंद्र मोदी की सियासी साख तय करने जा रहा है। दो चरणों में इस इलाके की 33 लोकसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। यहां चुनाव सात और 12 मई को होने हैं। इन सभी लोकसभा सीटों से मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी का फासला दो सौ किलोमीटर की परिधि में है।
अंशुमान शुक्ल, लखनऊ
इलाके की 33 सीटों पर मोदी प्रभाव को सिरे से खारिज कर रहे राहुल गांधी, मुलायम सिंह यादव, मायावती और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा के प्रभाव को रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। ऐसे में देखना अहम होगा कि मोदी लहर की बात करने वाली भाजपा इस इलाके की कितनी सीटों को मोदी प्रभाव से जीत पाने में कामयाब होती है। पूर्वांचल की सिर्फ चार लोकसभा सीटों पर पिछले लोकसभा के चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी जीत दर्ज कर पाए थे।
पूर्वी उत्तर प्रदेश की 33 लोकसभा सीटें कई मायनों में बेहद अहम हैं। यह वह इलाका है जहां असंतुष्टों की बड़ी संख्या है। अकेले भाजपा में ही ऐसे असंतुष्ट नहीं हैं। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी भी ऐसे असंतुष्टों को समझाने की पूरी कोशिश कर रही है। उन्हें मनाने के हर संभव प्रयास जारी हैं। एक पखवाड़े पूर्व भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में असंतुष्टों की सक्रियता को देखते हुए उन्हें समझाने की कोशिशें की थीं। बीस सीटों पर प्रत्याशियों को बदलने का प्रस्ताव बनाकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को सौंपा भी गया था। लेकिन ऐन चुनाव के पूर्व इतनी बड़ी संख्या में टिकटों के बदलने की बात को पार्टी आलाकमान ने खारिज कर दिया था। उन्हें डर था कि ऐसा करने से कहीं कार्यकर्ताओं और जनता में गलत संदेश न चला जाए। विपक्ष ने भाजपा की इस कमजोरी को बखूबी भांप लिया है।
नरेंद्र मोदी को लगातार लक्ष्य कर सियासी हमला बोल रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं, भाजपा से होशियार पार्टी कोई नहीं है। गुजरात मॉडल का सपना दिखाकर उत्तर प्रदेश की जनता को गुमराह करने की कोशिशें हो रही हैं। वे अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाएंगे। 8 मई को वाराणसी में हम नरेंद्र मोदी को जवाब देंगे। वे गुजरातमॉडल की बात करते हैं और हम करके दिखाते हैं। हमने अकेले वाराणसी में 40 हजार लैपटाप वितरित किए हैं। जनता खुद तय करेगी।
दरअसल उत्तर प्रदेश की आजमगढ़, अमेठी, जौनपुर, मछलीशहर, इलाहाबाद, फूलपुर, कौशांबी, मिर्जापुर, चंदौली, भदोही, राबर्ट्सगंज समेत 33 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां मोदी की अग्निपरीक्षा होनी है। भाजपा की जिलास्तरीय अंतर्कलह इन सीटों को प्रभावित कर रही है। इनसे निपटना पार्टी के लिए चुनौती से कम नहीं।
इनके अलावा पांचवें चरण में प्रदेश की 15 में से दस सीटों पर बाहुबली प्रत्याशियों ने भी नरेंद्र मोदी की लहर पर बड़ा हमला किया है। इन सीटों पर 43 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन पर आपराधिक मुकदमे हैं। श्रावस्ती से सपा उम्मीदवार अतीक अहमद, सुलतानपुर से बसपा प्रत्याशी पवन पांडेय, फूलपुर से भाजपा के केशव प्रसाद, फैजाबाद से सपा प्रत्याशी मित्रसेन यादव, आंबेडकरनगर से बसपा प्रत्याशी राकेश पांडेय ने अपने शपथपत्र में खुद पर हत्या के मुकदमों के दर्ज होने की बात स्वीकार की है। इनके अलावा एक दर्जन से अधिक ऐसे उम्मीदवार भी हैं, जिन पर हत्या के प्रयास सरीखे मुकदमे दर्ज हैं। ऐसे में मोदी की लहर पर आपराधिक क्षवि के प्रत्याशियों का रसूख हावी नहीं होगा? यह देखना दिलचस्प होगा। खुद मोदी वाराणसी में कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय से टकरा रहे हैं। राय को माफिया मुख्तार अंसारी पहले ही समर्थन देकर मोदी की राहों में परेशानी पेश कर चुके हैं।
उत्तर प्रदेश की 33 लोकसभा सीटों पर दो चरणों में चुनाव होने हैं। इन्हीं दो चरणों में नरेंद्र मोदी की असली परीक्षा भी होनी है, क्योंकि इन सभी सीटों पर उन्हें भाजपा के भितरघातियों और आपराधिक छवि के प्रत्याशियों के अलावा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आरोपों से भी लड़ना होगा। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि पूर्वांचल की 33 लोकसभा सीटों पर क्या नरेंद्र मोदी का कोई जादू चलता है? यह मोदी के प्रचारित किए जा रहे जादुई व्यक्तित्व की वास्तविकता बयां करने के लिए काफी होगा। साथ ही इस बात पर भी सबकी निगाहें होंगी कि दो चरणों में उत्तर प्रदेश में होने वाले मतदान को प्रभावित करने के लिए मोदी कौन-सी चाल चलते हैं।
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