उच्चतम न्यायालय ने पूर्व सांसदों को दिये जाने वाले आजीवन पेंशन और भत्तों को समाप्त करने संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से आज जवाब तलब किया। न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गैर-सरकारी संगठन लोक प्रहरी की याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग के अलावा लोकसभा एवं राज्य सभा के महासचिवों को भी नोटिस जारी करके जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता की दलील है कि कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी पेंशन एवं अन्य भत्ते जारी रखना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि बिना कोई कानून बनाये सांसदों को पेंशन लाभ दिलाने का संसद के पास अधिकार नहीं है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी कहा कि हमने वह जमाना भी देखा है, जब लंबे समय तक सांसद के रूप में सेवा करने के बाद भी कई राजनेताओं की मौत गुरबत (गरीबी) में हुई है।
भाजपा नेताओं की भूमिका पर सुनवाई टली
उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाने के मामले में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ सुनवाई एक दिन के लिए आज टाल दी। न्यायालय इस बात को लेकर आज आदेश सुनाना था कि क्या विवादित ढांचा ढहाये जाने के मामले में श्री आडवाणी समेत भाजपा के कई नेताओं पर आपराधिक साजिश रचने का मुकदमा फिर से चलाया जा सकता है या नहीं। हालांकि सुनवाई करने वाली खंडपीठ के एक न्यायाधीश के उपस्थित न होने के कारण मामले की सुनवाई कल तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।