BSSC पर्चा लीक मामले में पुलिस का हाथ आयोग के सचिव के गिरेबान तक पहुंच गया है.लेकिन गंभीर सवाल यह है कि SIT के जूनियर अफसर आयोग के अध्यक्ष जो प्रिंसिपल सेक्रेटरी रैंक के अफसर हैं, से कैसे पूछ-ताछ कर पायेंगे?
इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम
यह सवाल इसलिए कि जांच दल के अफसर जूनियर स्तर के आईपीएस हैं जबकि अध्यक्ष सुधीर कुमार प्रधान चसिव स्तर के आईएएस अफसर हैं.
जांच दल के प्रमुख व पटना के एसएसपी मनु महाराज, आयोग के अध्यक्ष सुधीर कुमार से पूछ-ताछ की है. लेकिन इस पूछ ताछ को उन्होंने ‘मंत्रणा’ की संज्ञा दे डाली. स्वाभाविक है कि एक जूनियर आईपीएस अफसर अपने से सीनियर अफसर से पूछताछ करने का साहस कैसे दिखा पायेगा? सुधीर कुमार प्रधान सचिव स्तर के आईएएस अफसर हैं, संसदीय मामलों के प्रधान सचिव रहे और अपने करियर के शुरुआती दिनों में वह पटना के डीएम भी रह चुके हैं.
अंदर की बात
सूत्र बताते हैं कि जब एसएसपी मनु महराजा, सुधीर कुमार से मिलने गये तो मनुमहाराज ने उन्हें हर बार सर कहके संबोधित किया, जबकि सुधीर कुार का व्यवहार ठीक वैसा ही था जैसा एक सीनियर अफसर का, अपने मातहत अफसर के साथ होता है. सूत्र यह भी बताते हैं कि सुधीर कुमार ने इस मंत्रणा के दौरान एसएसपी से ही सवाल किया कि परीक्षा के स्मूथ संचालन की जिम्मेदारी सिर्फ आयोग की ही नहीं बल्कि स्थानीय प्रशासन की भी है.
यह तो अब स्पष्ट होता जा रहा है कि बीएसएससी पर्चा लीक मामले में बड़ा खेल हुआ है. प्रश्नपत्र लीक होने की बात भी अब प्रमाणित होने के करीब पहुंच चुकी है. बस औपचारिक रूप से इस पर मुहर लगनी है. हम यह कत्तई नहीं कह सकते कि इस मामले में आयोग के अध्यक्ष की भूमिका संदिग्ध है कि नहीं. लेकिन सवाल यहां यह है कि जब बिहार प्रशासनिक सेवा के जूनियर अफसर रैंक के सचिव परमेश्वर राम के गिरेबान तक जांच दल का हाथ पहुंच चुका है तो अब आगे क्या होगा. क्या जांच दल के जूनियर अफसरान अपने वरिष्ठ अफसरों से सवाल पूछने का साहस जुटा पायेंगे?