पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के बाद अलीगढ़ से ले कर भोपाल तक हिंदू महसाभा के नेता कमलेश तिवारी के खिलाफ लोग सड़कों पर आ गये हैं. लोगों का विरोध अन्य कई राज्यों में फैलता जा रहा है.
नौकरशाही डेस्क
जब लोगों का आक्रोश कमलेश तिवारी के खिलाफ देशव्यापी तौर पर बढ़ा तो हिंदू महसभा ने सफाई दी कि वह हिंदू महसभा के कार्यकारी अध्यक्ष नहीं है. हिंदू महासभा ने आरोप लगाया कि आरएसएस जैसे संगठन उस बदनाम कर रहे हैं. पर यह सवाल यह नहीं है कि वह हिंदू महासभा का है या आरएसएस का. सवाल यह है कि ईसनींदा करने वाले किसी भी शख्स के खिलाफ सख्ती से ऐसे ही निपटा जाना चाहिए जैसे श्री राम या कृष्ण के खिलाफ अपमान जनक टिप्पणी करने वाले के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
कुछ लोग कमलेश तिवारी के अपमानजनक बयान के पहले आजम खान के उस बयान का हवाला दे कर मुद्दे को डाउनप्ले कर रहै हैं जिसमें खान ने आरएसएस के कार्यकर्ताओं को होमो सेक्सुओलिटी से जोड़ा था. लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि आजम ने अपने बयान में किसी व्यक्ति या महापुरुष का नाम नहीं लिया था. लेकिन कमलेश तिवारी ने इस्लाम मजहब के प्रोफेट के खिलाफ जैसे शब्द का इस्तेमाल किया है उसकी प्रतिक्रिया देश भर में आक्रेशपूर्ण रूप से सामने आयी है.
खबर है कि उस व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. लेकिन उसके खिलाफ आंदोलनकारी ऐसी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ताकि उसे सबक सिखाया जा सके और कोई भी ईश्वर के दूत के खिलाफ ऐसी टिप्पणी करने का साहस न जुटा सके.
कुछ लोग चर्चा में आने के लिए ऐसी टिप्पणियां करते हैं और सोशल मीडिया का दुरूपोयोग करते हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है. ऐसी टिप्पणियों से न सिर्फ समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है बल्कि सामाजिक सहिष्णुता पर भी नाकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इतना ही नहीं ऐसे बयान से साम्प्रदायिक तनाव भी बढ़ता है. इसलिए जरूरी है कि इस तरह की टिप्पणी करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए.
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