चंपारण सत्‍याग्रह के सौ साल। पीढ़ी बदल गयी। गांधी की तीसरी पीढ़ी ढोयी जा रही है। गांधी जी ने ‘विचार’ के बल पर देश में आजादी की लौ जलायी थी। आजादी के करीब 70 वर्षों में गांधी का विचार ‘पोलिटिकल प्रोडक्‍ट’ बन गया है। राजनीति करने वाला हर व्‍यक्ति इसे ‘बेचना’ चाहता है। कांग्रेस के लिए गांधी ‘गांधी परिवार’ में तब्‍दील हो गया। भाजपा ने गांधी के विचार पर अपना ‘कॉपी राइट’ का दावा ठोक दिया है। मजबूत दावेदार। वजह स्‍पष्‍ट है। महात्‍मा गांधी और नरेंद्र मोदी दोनों का संबंध गुजरात और बनिया परिवार से रहा है।kkkk

वीरेंद्र यादव

इस बीच बिहार ने भी गांधी पर ‘अपना जमीनी’ हक जता दिया है। चंपारण की जमीन से पहली बार महात्‍मा गांधी को ताकत मिली और उसी ताकत ने उनको नयी पहचान दी। आजादी की लड़ाई का पथ प्रशस्‍त किया। और चंपारण का रिश्‍ता भारत की आजादी से जुड़ गया। महात्‍मा गांधी सौ साल पहले बिहार के चंपारण में आये थे। महात्‍मा गांधी की पहली यात्रा का शताब्‍दी समारोह बिहार सरकार मना रही है। इसका औपचारिक शुभारंभ आज पटना के ज्ञान भवन में हुआ। शताब्‍दी समारोह पूरे एक साल तक राज्‍य भर में मनाया जाएगा और इसके साथ ही गांधी के विचारों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा।rr

 

चंपारण सत्‍याग्रह का ‘सरकारी समारोह’

चंपारण सत्‍याग्रह शताब्‍दी समारोह के शुभारंभ के मौके पर सभी वक्‍ताओं ने संकेत दे दिया कि जिस तरह महात्‍मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की थी, उसी तरह अब देश भर में भाजपा के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत बिहार से हो रही है। अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई की अगुआई महात्‍मा गांधी ने किया था और भाजपा के खिलाफ आंदोलन की अगुआई नीतीश कुमार करेंगे। वक्‍ताओं के स्‍वर का सारांश यही था। शताब्‍दी समारोह में वक्‍ताओं ने गांधी से ज्‍यादा नीतीश कुमार की चर्चा की। चंपारण सत्‍याग्रह का ‘सरकारी समारोह’ में शराबबंदी को भी गांधी से जोड़ दिया गया। शराबबंदी को नीतीश का ‘ऐतिहासिक निर्णय’ बता दिया गया।

 

भाजपा के वैचारिक विरोधियों को जोड़ने का प्रयास

दरअसल नीतीश कुमार अब चंपारण सत्‍याग्रह के शताब्‍दी समारोह के नाम पर देश भर में भाजपा के विकल्‍प के रूप में खुद को प्रस्‍तुत करने की कोशिश में जुट गए हैं। महात्मा गांधी और शराबबंदी को सामाजिक रूप से व्‍यापक स्‍वीकारता है और नीतीश इन्‍हीं दो चीजों की ‘ब्रांडिंग’ के साथ अपनी राजनीति खड़ा करना चाह रहे हैं। अपने इस अभियान में एनजीओ को भी जोड़ने का प्रयत्‍न कर रहे हैं। शताब्‍दी समारोह में आमंत्रित सभी वक्‍ता वैचारिक रूप भाजपा की नीतियों विरोधी हैं। शताब्‍दी समारोह के बहाने भाजपा विरोधियों की गोलबंदी का प्रयास भी किया जा रहा है। इस अभियान में नीतीश कितना सफल होते हैं, यह भविष्‍य के गर्भ में है। लेकिन इतना तय है कि महात्‍मा गांधी के ‘वैचारिक प्रोडक्‍ट’ को बाजार में लांच करने में नीतीश जरूर सफल हो गए।

By Editor


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