नई दिल्‍ली स्थित प्रगति मैदान में चल रहे 35वें भारत अंतर्राश्ट्रीय व्यापार मेले के चैथे दिन बिहार पेवेलियन में काफी तदाद में दर्शक पहुंच रहे हैं। लोगों को यहां भागलपुरी सिल्क साडी, मिथिला पेटिंग और जूट- बैग आदि से निर्मित वस्तुएं काफी भा रही है।delhi

 

 

बिहार के विभिन्न प्रांतों से आये अलग-अलग स्टाल अपनी हस्तकरघा एवं हस्तशिल्‍प की छवि बिखेर रहे हैं। मेले में आने वाले लोग बिहार के नायाब व उत्कृष्‍ट आर्ट व मधुबनी पेंटिग में लगे उत्पादों के अवलोकन एवं खरीदारी का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं। बिहार पवेलियन के निदेशक संजय सिंह ने बताया कि आज से 27 नवम्बर तक बिहार पेवेलियन के  बाहर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जा रहा है। प्रगति मैदान के गेट नं 7 के नजदीक शाम में बिहार पेवेलियन के बाहर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

 

बिहार पेवेलियन के मुख्य द्वार व पवेलियन के अग्रभाग पर सिमेंट बोर्ड पर सिक्की आर्ट से ज्ञान, परिश्रम और श्रोत के त्रिकोणिय प्रतिरूप में तैयार किया गया है। थीम हाल में 2000 बांस से बना बोधि वृक्ष, तार के पत्ते में सरसो डालकर बनाए गये बच्चों के झुनझुने से बने विशाल झूमर , गैलरी में लगे पेपर मैसिंग लैम्प शेड , बिहार के नायाब हस्तकला के लाईव डेमो एवं उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंघान संस्थान के अद्भूत शिल्प कला म्युजियम को देख दर्शक अभिभूत हो गये। बिहार के मिथिला के छोटे से गांव बिसहथ से आये अल्का दास के प्राकृतिक रंगों से बनाया गया नेचर मिथिला पेंटिंग के दर्शक मुरीद हो गये। अल्का दास ने बताया कि हमने प्राकृतिक रंगों से इस पेंटिंग को बनाया है, वहीं पटना से आई अनुप्रिया लेडिज कुर्तीयों के नए डिजाइन बनाकर लाए हैं।

By Editor


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